Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: प्राणायाम से श्रेष्ठ कोई तप नहीं है। इससे सारे मल शुद्ध हो जाते हैं। ज्ञान का प्रकाश होता है। वासना की तरंगें चित्त को उद्वेलित करती हैं। प्राणायाम ही इससे मुक्त करता है। बाहर की वायु को प्राणादि पंचवायु कहते हैं। ये ही मुख्य प्राणशक्ति की तरंग-लहरियां हैं। यही वायु रूप में इस देह-मन को जीवित बनाए रखती है। मन में नाना प्रकार की इच्छा शक्ति को स्फुरित करती है। ‘शरीर ही ब्रह्माण्ड’ शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- प्राणायाम-ब्रह्म का यात्रा-पथ
जयपुर•Jun 23, 2024 / 02:39 pm•
Gyan Chand Patni
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