गौारतलब है कि जिले में गहलोत सरकार के राज में पिछले तीन-चार साल में निर्मित कई सड़कों की गुणवत्ता काफी खराब होने के कारण शुरू से विवादों में रही। कई बार ग्रामीणों ने घटिया निर्माण को लेकर आवाज भी उठाई, लेकिन विभागीय अधिकारियों की ठेकेदारों के साथ मिलीभगत होने के कारण इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। राज्यमंत्री बाघमार ने बताया कि नागौर जिले में भ्रमण के दौरान जनप्रतिनिधियों एवं आमजन ने उन्हें सड़कों की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें दी हैं, जिसको गंभीरता से लेते हुए उच्च स्तर से सडक़ों की जांच करवाने के निर्देश दिए हैं।
गहलोत सरकार ने शहरों में बनवाई थी सडक़ें शहरी क्षेत्रों में गुणवत्ता पूर्ण सड़कें बनाने के लिए वर्ष 2021-22 के बजट में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के माध्यम से सड़कें बनाने के लिए करोड़ों रुपए का बजट दिया था। बजट घोषणा के अनुसार प्रदेश के प्रत्येक नगर निगम क्षेत्र में 30 किलोमीटर, नगर परिषद में 20 किमी एवं नगरपालिका क्षेत्रों में 10 किमी सडक़ें सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से बनाने के लिए बजट जारी किया गया था। सरकार ने अक्टूबर 2021 में नागौर शहर के लिए 18 किलोमीटर 850 मीटर की कुल 18 सड़कों के लिए 6 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। इसके बाद पीडब्ल्यूडी ने अलग-अलग ठेकेदारों को ठेके दिए थे, लेकिन ठेकेदारों ने कच्छुआ चाल से 2022 के नवम्बर-दिसम्बर तक काम पूरा किया और वो भी घटिया स्तर का, जिसके कारण अधिकतर सड़कें सालभर में ही टूट गईं।
इन सडक़ों की होगी जांच राज्यमंत्री बाघमार ने नागौर जिले के रेण-सांजू पीएमजीएसवाई सड़क निर्माण के साथ मुख्यमंत्री बजट घोषणा वर्ष 2020-21, 2021-22 एवं 2022-23 में स्वीकृत निर्मित सड़कों की जांच के निर्देश दिए हैं। इसके साथ सीआरआईएफ योजनान्तर्गत निर्मित सडक़ों, आरआईडीएफ-27 एवं 28 योजनान्तर्गत निर्मित सडक़ों व वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में निर्मित मिसिंग लिंक योजनान्तर्गत निर्मित सड़कों की जांच करवाकर तथ्यात्मक रिपोर्ट अविलम्ब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
कुछ रिपोर्ट आई है, कुछ आनी है जिले में पिछले तीन-चार साल में अलग-अलग योजना में बनी सड़कों की गुणवत्ता को लेकर जनप्रतिनिधियों एवं आमजन ने शिकायतें की थी। इसे देखते हुए पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर (गुण नियंत्रण) को जांच करवाकर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। कुछ रिपोर्ट मिली हैं और कुछ आनी बाकी है।
– डॉ. मंजू बाघमार, राज्यमंत्री, सार्वजनिक निर्माण विभाग ।