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आपकी बात… नेताओं के नाम पर बनने वाले स्मारकों पर आपकी क्या राय है?

पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

जयपुरDec 30, 2024 / 03:17 pm

Hemant Pandey

नेताओं के नाम पर स्मारक बनाना एक अच्छी बात है, क्योंकि इससे हम उन्हें स्मरण कर उनके योगदान को सम्मानित करते हैं। लेकिन, यह महत्वपूर्ण है कि इन स्मारकों का निर्माण जनता के पैसे से किया जाए और ये हमारे नेताओं के आदर्शों और मूल्यों को प्रतिबिंबित करें।

नेताओं के नाम पर स्मारक बनाना एक अच्छी बात है, क्योंकि इससे हम उन्हें स्मरण कर उनके योगदान को सम्मानित करते हैं। लेकिन, यह महत्वपूर्ण है कि इन स्मारकों का निर्माण जनता के पैसे से किया जाए और ये हमारे नेताओं के आदर्शों और मूल्यों को प्रतिबिंबित करें।

डिजिटल स्मारक बनाये जाएं

स्मृति अमर रखने और प्रेरणा के लिए पत्थर के स्मारक के स्थान पर आज के डिजिटल युग में नेताओं की जीवनी पर एक डॉक्यूमेंट्री सरकार द्वारा बनाई जाए, जिसमें उनके व्यक्तित्व और कृतित्व का विवरण हो। इसके अलावा, “स्मारक” नाम से एक वेबसाइट बनाई जाए, जिसमें नेताओं के मूल निवास का गूगल मैप लिंक भी हो। इससे पूरा भारत और विश्व उनके बारे में जान सकेगा और धन का अपव्यय तथा राजनीति से बचा जा सकेगा।
डॉ. चन्द्रसेन शर्मा

वीर सपूतों के नाम पर स्मारक बनें

दो सौ साल की अंग्रेजी हुकूमत की गुलामी से आज़ादी दिलाने के लिए देश के जिन वीर सपूतों और वीरांगनाओं ने अपने प्राणों की आहुतियां दी हैं और हंसते हंसते फांसी के फंदों पर झूले हैं तथा अंग्रेजी हुकूमत को मुंहतोड़ जवाब दिया है, उनके नाम पर स्मारक होने चाहिए, ताकि देश की पीढ़ियां यह जान सकें कि देश की आज़ादी प्राप्त करने के लिए कितना खून बहाया गया है और कितने देशभक्त वीर गति को प्राप्त हुए हैं!
डॉ. मदनलाल गांगले, रतलाम

स्मारक बने पर खर्च दल वहन करे

प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, साहित्यकार, कलाकार, शहीद सैनिक या अन्य विधा में प्रख्यात व्यक्ति का स्मारक बने और खर्च भी शासन वहन करे। इसके अतिरिक्त अन्य किसी सियासी व्यक्ति का अविवादित स्थल पर स्मारक बने, किंतु स्मारक का खर्च सियासी दल ही वहन करें, तो विवाद कम होगा और शासकीय धन का अपव्यय भी नहीं होगा।
  • बी एल शर्मा, उज्जैन

स्मारक निर्माण और राजनीति

नेताओं के नाम पर स्मारक बनाना एक अच्छी बात है, क्योंकि इससे हम उन्हें स्मरण कर उनके योगदान को सम्मानित करते हैं। लेकिन, यह महत्वपूर्ण है कि इन स्मारकों का निर्माण जनता के पैसे से किया जाए और ये हमारे नेताओं के आदर्शों और मूल्यों को प्रतिबिंबित करें। इनका निर्माण और रखरखाव हमारे देश के विकास और प्रगति के लिए किया जाए और ये हमारे देश के लोगों के लिए गर्व और प्रेरणा का स्त्रोत बनें।
  • संजय, धार (मप्र)

महान नेताओं के ही बनें

स्मारकों का निर्माण एक गंभीर और व्यवस्थित प्रक्रिया है, जो उन लोगों के प्रति सम्मान प्रकट करता है जिन्होंने देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह स्मारक एक राष्ट्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक होते हैं और यह पीढ़ियों को प्रेरणा देते हैं। स्मारक, संग्रहालय, लाइब्रेरी और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में कार्य कर रहे हैं, जो अर्थव्यवस्था को भी फायदा पहुंचाते हैं और पीढ़ियां महान नेताओं के योगदान के बारे में जानकर उनसे प्रेरणा लेती हैं।
-लहर सनाढ्य, उदयपुर

राजनीति व जातिवाद से बचें

नेताओं के नाम से बने स्मारकों से राजनीति और जातिवाद को बढ़ावा मिलता है। इसके स्थान पर राष्ट्र सेवा को समर्पित व्यक्तियों के नाम या नगर/शहर के नाम पर स्मारक होने चाहिए, जिससे जनता में देश प्रेम और मातृभूमि की प्रति सम्मान की भावना पैदा हो।
-रमेश दत्त मोदी

राजनीति या पार्टीबाजी न हो

नेताओं के नाम पर बनने वाले स्मारकों में कोई बुराई नहीं है, परंतु इस पर राजनीति या पार्टीबाजी नहीं होनी चाहिए। नेता पूरी भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं, न कि किसी पार्टी विशेष का। इस कारण स्मारकों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। नेता के स्मारक पर कोई अप्रिय टिप्पणी करने से न केवल उस नेता का बल्कि उनके द्वारा नेतृत्व किए गए लोगों का भी अपमान होता है।
-कैलाश चन्द्र मोदी, चूरु

स्मारकों से विवाद हो सकते हैं

अगर स्मारक केवल कुछ विशेष नेताओं या विचारधाराओं पर केंद्रित हों और बाकी ऐतिहासिक या सामाजिक योगदानकर्ताओं को अनदेखा किया जाए, तो यह देश के विभिन्न वर्गों में असंतोष उत्पन्न कर सकता है। इसके अलावा, स्मारकों से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य या सांस्कृतिक महत्व को लेकर विवाद भी हो सकते हैं, जो देश में संघर्ष को बढ़ा सकते हैं।
  • अनोप भाम्बु, जोधपुर

व्यक्तित्व मायने रखता है

नेताओं पर स्मारक बनाने से पहले यह देखा जाए कि उस व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा था, क्योंकि व्यक्तित्व बहुत मायने रखता है। उस व्यक्ति ने राष्ट्रीय हित में काम किया या केवल निजी स्वार्थ की पूर्ति की, इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।
-प्रियव्रत, जोधपुर

स्मारक और राजनीति का प्रभाव

उच्च पदों पर देश का नेतृत्व करने वाले नेताओं के स्मारक बनने चाहिए, क्योंकि यह उनके कार्यों के प्रतिबिंब होते हैं। स्मारक भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत होते हैं और नेता के प्रति निष्ठा का भाव पैदा करते हैं। लेकिन नेताओं के स्मारक और सम्मान को लेकर राजनीति करना जनता के भावों के साथ खिलवाड़ करना है। मरणोपरांत नेताओं पर राजनीतिक लाभ के लिए कृत्य करना उनका असम्मान करना है।
-देवासिंह खावड़िया, गिराब, राजस्थान

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