अमरीका के विकास में एच-1 बी वीजा प्रणाली के योगदान को समझते हैं ट्रंप
विनय कौड़ा, अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ
इस बात में कोई संदेह नहीं रहा है कि अमरीका में काम करने वाले एच-1 बी वीजा धारक नौकरियों के अनेक अवसर पैदा कर रहे हैं जिसका सबसे ज्यादा लाभ अमरीकी श्रमिकों को ही होता है। टेस्ला, एक्स और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क भी कभी एच-1 बी वीजा पर ही अमरीका पहुंचे थे जहां अपनी योग्यता के दम पर वे एक सफल उद्यमी बने। आज मस्क अमरीका के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक हैं। इसलिए वे चाहते हैं कि इस वीजा को जारी रखा जाए जिससे अमरीका में उद्यमशीलता पनपती रहे। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी यह बात समझ रहे हैं कि तकनीकी नवाचार और विकास की दौड़ में अमरीका को आगे बनाए रखने में एक बड़ा योगदान एच-1 बी वीजा प्रणाली का भी रहा है।
सिलिकॉन वैली में बड़े से बड़ा नाम चाहे वह गूगल और अमेजन हो या माइक्रोसॉफ्ट और टेस्ला, इन सब कंपनियों ने दुनिया भर के प्रतिभाशाली व्यक्तियों के बलबूते अपने वैश्विक साम्राज्य का निर्माण किया है। इस वीजा प्रणाली की सफलता से प्रेरित होकर अब कुछ यूरोपीय देश भी आइटी और वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में भारत एवं अन्य देशों से प्रतिभाशाली युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं। आज अगर अमरीका, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार अपनी बढ़त बनाए रखना चाहता है तो उसे दुनियाभर के प्रतिभाशाली लोगों पर भरोसा करना ही होगा। सर्वाधिक जनसंख्या वाले भारत में आज भी विद्यार्थी विज्ञान के अनेक विषयों को पढऩे पर काफी समय और धन विनियोग कर रहे हैं। यही कारण है कि एच-1 बी वीजा प्रणाली के कुल 70 प्रतिशत लाभार्थी भारतीय हैं।
ट्रंप यह बात तो समझ चुके हैं कि यदि अमरीका को चीन से प्रतिस्पर्धा करनी है, तो उसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अपनी श्रेष्ठता कायम रखनी होगी। लेकिन एच-1 बी के प्रति ट्रंप के अचानक उमड़े प्यार ने रिपब्लिकन पार्टी के लिए एक गहराता हुआ वैचारिक संकट उत्पन्न कर दिया है। एच-1 बी को समर्थन देने वाले अरबपतियों ने ट्रंप के चुनावी अभियान को जमकर चंदा दिया है लेकिन उनको वोट देने वाला अधिकांश वर्ग अमरीका का दक्षिणपंथी रूढि़वादी नागरिक है जिसे विदेशी श्रमिकों का बढ़ता दबदबा और दौलत पसंद नहीं आ रही है। स्वयं ट्रंप की स्थिति असहज प्रतीत हो रही है, लेकिन विवादों और विरोधाभासों से उन्हें कोई परहेज नहीं है।
पिछले कार्यकाल में ट्रंप का दाहिना हाथ माने जाने वाले स्टीव बैनन एच-1 बी वीजा के समर्थकों को जमकर कोस रहे हैं। उन्होंने इसे सिलिकॉन वैली के अभिजात्य वर्ग का एक ‘घोटाला’ करार दिया है, जिसका उद्देश्य अमरीकियों की नौकरियां छीनकर उन्हें कम वेतन पर बंधुआ मजदूरी करवाना है। आश्चर्यजनक पहलू यह है कि भारतवंशी निक्की हेली भी इस वीजा प्रणाली का विरोध कर रही हैं। हेली विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने के बजाय अमरीकी कंपनियों को स्थानीय कामगारों को रोजगार देने की मांग कर रही हैं।
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