Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: ईश्वरतत्त्व अनुमान सिद्ध है। अग्निवेद ऋक्-यजु: व साम ही ज्ञान, क्रिया एवं अर्थ हैं। विश्व क्रियामय है, क्रिया से प्राण का अनुमान होता है तथा प्राण व्यापार बिना इच्छा के संभव नहीं। ज्ञानजन्या भवेत् इच्छा, इच्छाजन्या भवेत् क्रिया, क्रियाजन्यो भवेत् अर्थम् रूप में इच्छा ही कामना है। ‘शरीर ही ब्रह्माण्ड शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- पानी है उत्पत्ति का आधार
जयपुर•Jul 07, 2024 / 11:02 am•
Gyan Chand Patni
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