उन्हें ‘हम’ कहना चाहिए और संकट के समय एकता पर जोर देना चाहिए। जिस राजनेता या धर्माध्यक्ष के पास ‘मैं’ की बजाय ‘हम’ कहने की क्षमता नहीं है, वह संकट की स्थिति को सही तरीके से समझ ही नहीं पाएगा। ऐसे समय में आपसी विवादों को छुट्टी पर भेजा जाना चाहिए और एकता के लिए जगह बनानी चाहिए। याद रहे महामारी ने ‘फेंकने की संस्कृति’ को बढ़ा दिया है। इसके शिकार समाज के सबसे कमजोर सदस्य जैसे गरीब, प्रवासी और बुजुर्ग भी हो रहे हैं।