scriptPatrika Opinion: हारने वाली पार्टी को करना ही होगा सवालों का सामना | Patrika Opinion: The losing party will have to face questions | Patrika News
ओपिनियन

Patrika Opinion: हारने वाली पार्टी को करना ही होगा सवालों का सामना

भाजपा को पराजय का स्वाद चखना पड़ता है तो सवाल तो खड़े होंगे ही कि आखिर लोकसभा चुनाव के निराशाजनक नतीजों का सिलसिला पार्टी तोड़ क्यों नहीं पाई, खासकर जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में।

जयपुरOct 07, 2024 / 11:18 pm

Nitin Kumar

चार माह, चार दिन बाद आज फिर नतीजों का दिन है। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम दो-तीन घंटों में ही सामने आ जाएंगे। पता चल जाएगा कि किसने क्या खोया और किसने क्या पाया? केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए ये नतीजे खास महत्त्व के हैं। पिछले चुनाव में हरियाणा में भाजपा ने जननायक जनता पार्टी (जजपा) का साथ लेकर अपना मुख्यमंत्री बनाया था तो जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को समर्थन देकर सरकार में हिस्सेदारी निभाई थी। इस लिहाज से भाजपा के पास पाने को कुछ नहीं है। दोनों जगह जीत मिलती है तो हरियाणा में हैट्रिक लगेगी और जम्मू-कश्मीर में फिर से सत्ता का स्वाद चखने का मौका मिलेगा। लेकिन एग्जिट पोल की मानी जाए तो दोनों ही जगह कमल मुरझाता हुआ नजर आ रहा है। हरियाणा में कांग्रेस अपने बूते सरकार बनाती हुई दिख रही है तो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के साथ सत्ता के नजदीक पहुंच रही है।
एग्जिट पोल सटीक निकले तो ये भाजपा के लिए जोर के झटके से कम नहीं माना जाएगा। लोकतंत्र में जनता का फैसला शिरोधार्य होता है, लेकिन यदि भाजपा को पराजय का स्वाद चखना पड़ता है तो सवाल तो खड़े होंगे ही कि आखिर लोकसभा चुनाव के निराशाजनक नतीजों का सिलसिला पार्टी तोड़ क्यों नहीं पाई, खासकर जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में। पांच साल पहले जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने अनुच्छेद ३७० हटाकर पार्टी के दशकों पुराने वादे को पूरा कर दिखाया था। तमाम विरोध के बावजूद भाजपा ने ये संदेश देने की कोशिश की थी कि जम्मू-कश्मीर अब देश की मुख्यधारा से जुड़ जाएगा। आज आने वाले नतीजे यह तय करेंगे कि अनुच्छेद ३७० हटाने का फायदा भाजपा को मिला या नहीं।
जम्मू-कश्मीर पर देश ही नहीं, दुनिया की निगाहें भी लगी हैं। चुनावी नतीजों का संदेश दूर तक जाना तय है और इसका असर देर तक भी नजर आएगा। नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस अकेले बहुमत पाते हैं या भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सरकार बनाने का दावा पेश करती है, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए भी और देश के लिए भी इस वक्त यह सबसे बड़ा सवाल माना जा सकता है और जनता इस सवाल का जवाब जल्द से जल्द जान लेना चाहती है। जम्मू-कश्मीर में किसी दल या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला तो जोड़-तोड़ के नजारे देखना भी दिलचस्प रहेगा। नतीजों की गूंज अगले महीने होने वाले महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव तक सुनाई देती रहेगी।

Hindi News / Prime / Opinion / Patrika Opinion: हारने वाली पार्टी को करना ही होगा सवालों का सामना

ट्रेंडिंग वीडियो