इंसान प्रकृति का अतिदोहन करता है। वह यह भूल जाता है कि प्रकृति पूरे संसार की जरूरत पूरी कर सकती है, लेकिन लालच नहीं। हमें प्रकृति का दोहन सुनहरे भविष्य की रक्षित पूंजी समझकर करना चाहिए।
-प्रकाश सियाग, जयपुर
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विकास कार्यों के साथ हमें पर्यावरण का भी ध्यान रखना चाहिए। वर्तमान में भारत को विकासशील देशों में गिना जाता है। हर तरफ पक्की सड़कें, बड़ी-बड़ी इमारतें नजर आती हैं। विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई हो रही है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। पर्यावरण दूषित होता जा रहा है। इससे बीमारियां बढ़ेंगी। इसलिए हमें विकास के साथ ही अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए।
-राकेश मोहनलाल कुमावत, देवास, मप्र
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आर्थिक वृद्धि प्राकृतिक संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग पर आधारित होती है। साथ ही पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की देखरेख के बिना गरीबी उन्मूलन और एक स्थायी समृद्धि प्राप्त नहीं की जा सकती। पर्यावरण और आर्थिक वृद्धि में परस्पर संबंध है। इसलिए मानव के लिए पर्यावरण का अनुकूल और संतुलित होना बहुत जरूरी है। यदि हमने पर्यावरण संरक्षण पर अभी से ध्यान नहीं दिया तो आने वाला जीवन अंधकारमय हो जाएगा।
डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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पर्यावरण का ध्यान रखना सतत विकास के लिए जरूरी है। स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ हवा, पानी और वनों का महत्व है। पर्यावरण संतुलन बिगडऩे से प्राकृतिक आपदाएं और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं।
-अभिषेक राय, गाजीपुर, उप्र
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विकास के नाम पर जिस तरह पेड़ों को काटा जा रहा है। निश्चित ही वह पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है। विकास तो जरूरी है मगर पर्यावरण का ध्यान रखते हुए। पर्यावरण नहीं बचा तो विकास किसी काम का नहीं रहेगा।
-साजिद अली चंदन नगर इंदौर
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विकास कार्यों में पर्यावरण का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है। विकास की अंधी दौड़ में हमने गगनचुम्बी इमारतें और कंक्रीट के जंगल तो बना लिए लेकिन आने वाली पीढ़ी के भविष्य के लिए चुनौतियों का कैसा पहाड़ हम खड़ा कर रहे हैं इसका अंदाजा हमें नहीं है।
-सुरेश कुमार प्रजापत, टूटियावास, दौसा