ऐंटी-स्पाईवेयर भी नहीं करता काम वहीं Cyber Experts की मानें तो इन एप्लिकेशन के जरिए कोई भी व्यक्ति किसी की भी जासूसी कर सकता है। वहीं एक शोध की मानें तो इन ऐप्स में ट्रडिशनल स्पाईवेयर शामिल किए गए हैं। इसके साथ ही इन ऐप्स से बचने के लिए कई बार ऐंटी-स्पाईवेयर भी काम नहीं आता।
पार्टनर की करते हैं जासूसी वहीं कई मामलों में इन ऐप्स को लोग अपने पार्टनर की हर हरकत पर नजर बनाए रखने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। कुछ ऐसे भी ऐप हैं जो सिर्फ अब्यूजर्स पर आधारित ही है। जिन्हें उन लोगों के लिए बनाए गए हैं जिन्हें अपनी पत्नी या गर्लफ्रेंड की जासूसी करनी है कि आखिर वह किस किस से बात या चैट करती हैं। साथ ही वह किस समय कहां है इसकी भी जानकारी इन ऐप से मिल जाती है।
सैकड़ों ऐप मौजूद नोएडा में इंडियन साइबर आर्मी नाम से एनजीओ चलाने वाले साइबर एक्सपर्ट किस्ले चौधरी का कहना है कि इंटरनेट पर सैकड़ों की संख्या में स्पाई एप मिल जाएंगे। जिन्हें लोग अपने पार्टनर व किसी भी व्यक्ति की जासूसी करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस तरह के ऐप को यदि कोई किसी व्यक्ति के फोन में डाल देता है तो वह आसानी से उसकी जासूसी कर सकता है। इसके साथ ही उसकी लोकेशन का भी पता लगा लेता है।
प्राइवेसी पर उठते हैं सवाल वहीं इसकी जानकारी उस व्यक्ति तक को भी नहीं होती जिसके फोन में ये ऐप डाला गया है। इससे कहीं न कहीं सिक्योरिटी व प्राइवेसी पर भी सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए एक शोध हुआ था। जिसके बाद शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट
गूगल को सौंपी थी। जिसके बाद गूगल ने अपने प्ले स्टोर की पॉलिसी में कुछ बदलाव किए हैं और इस तरह के ऐप्स को डाउनलोड करने के लिए कुछ नियम बना दिए हैं।
यह भी देखें : 27 जुलाई को होगा सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण गूगल व ऐपल ने लगाई है रोक साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि गूगल व ऐपल अपने प्लेटफॉर्म पर इस तरह के ऐप्स को इजाजत नहीं देते। हालांकि फिर भी लोग अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स के जरिए इन ऐप्स को डाउनलोड कर लेते हैं। इस मामले को सरकार को गंभीरता से लेने की जरूरत है। जिससे की किसी की प्राइवेसी भंग न हो।