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इस बड़े नेता ने खोली पंखुड़ी पाठक की पोल, कहा- इसलिए दिया पार्टी से इस्तीफा

सपा से इस्तीफा देने वाली पंखुड़ी पाठक पर समाजवादी नेता ने बोला जुबानी हमला

नोएडाAug 28, 2018 / 01:34 pm

lokesh verma

pankhuri pathak

इस बड़े नेता ने खोली पंखुड़ी पाठक की पोल, कहा- इसलिए दिया पार्टी से इस्तीफा

नोएडा. प्रवक्ताओं की सूची से बाहर होने के बाद सपा से इस्तीफा देने वाली पंखुड़ी पाठक पर समाजवादी नेताओं ने जुबानी हमला बोलना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं एक सपा नेता ने तो उन्हें अवसरवादी बताते हुए लालची तक बता दिया है। बता दें कि पंखुड़ी पाठक पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा था कि 8 साल पहले वे सपा की विचारधारा व युवा नेतृत्व से प्रभावित होकर इस पार्टी से जुड़ी थीं, लेकिन आज न वह विचारधारा दिखाई देती है और न ही वह नेतृत्व नजर आता है। इस तरह की राजनीति में उनका दम घुटता है।
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पार्टी के खिलाफ विवादित बयानबाजी को लेकर सपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश सचिव हाजी सलाउद्दीन मंसूरी ने पंखुड़ी पाठक पर जमकर हमला बोला है। प्रदेश सचिव ने पंखुड़ी पाठक के बयान को निंदनीय बताते हुए कहा है कि समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं की पार्टी है। इस तरह पार्टी से इस्तीफा देना अवसरवादिता को दर्शाता है। कल तक उनके पास पद था तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और सपा बढ़िया थे और अब पद नहीं है तो इस तरह के अर्नगल बयान दे रहीं हैं। उन्हें पार्टी में सिर्फ पद की लालसा थी। अगर वह सच्ची कार्यकर्ता थीं तो बिना पद के आम कार्यकर्ता की तरह पार्टी में काम करतीं।
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यहां बता दें कि सोमवार को सपा की आेर से मीडिया पैनलिस्ट की नई सूची जारी की गई थी, जिसमें नोएडा की रहने वाली पंखुड़ी पाठक का नाम शामिल नहीं किया गया था। सूची जारी होने के बाद पंखुरी पाठक ने इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने सपा पर समाजवादी सिद्धांतों को छोड़ देने का आरोप लगाते हुए कहा था कि अब पार्टी में उनका दम घुटता है। पंखुरी पाठक ने ट्वीट करके कहा था कि 8 साल पहले वह सपा की विचारधारा व युवा नेतृत्व से प्रभावित होकर पार्टी से जुड़ी थीं, लेकिन आज न वह विचारधारा दिखती है और न ही वह नेतृत्व। जिस तरह की राजनीति हो रही उसमें उनका दम घुटता है। कभी जाति तो कभी धर्म को लेकर जिस तरह की अभद्र टिप्पणियां की जाती हैं, उस पर पार्टी नेतृत्व सबकुछ जानकर भी शांत रहता है। यह दिखता है कि नेतृत्व ने भी इस स्तर की राजनीति को स्वीकार कर लिया है। ऐसे माहौल में अपने स्वाभिमान के समझौता करके पार्टी में बने रहना मुमकिन नहीं था। हालांकि इस दौरान पंखुड़ी पाठक सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए कहा कि मैंने उन्हें अपना आदर्श ही नहीं, एक बड़ा भाई माना है।

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