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Janmashtami 2018: 2 सितंबर को है कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी, संतान की उन्‍नति के लिए ऐसे करें पूजा

वर्ष 2018 में Krishna Janmashtami 2 सिंतबर को मनाई जाएगी, अष्‍टमी तिथि 2 सितंबर की रात 8.47 से शुरू होकर 3 सितंबर 2018 को शाम 7.19 तक रहेगी

नोएडाAug 21, 2018 / 02:56 pm

sharad asthana

krishna janmashtami

Janmashtami 2018: 2 सितंबर को है कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी, संतान की उन्‍नति के लिए करें ऐसे पूजा

मुरादाबाद। 26 अगस्‍त 2018 को रक्षा बंधन का त्‍योहार है। इसके बाद कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी पड़ेगी। मथुरा व वृदांवन समेत पूरे देश में भगवान विष्‍णु के अवतार श्री कृष्‍ण का जन्‍मोत्‍सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर महाराष्‍ट्र समेत देश के कई हिस्‍साें में दही हांडी की प्रत‍ियोगिता भी होती है। ऐसे में हम आपको कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का दिन, समय और पूजा का तरीका बता रहे हैं।
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भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था जन्‍म

ज्‍योतिष पंकज वशिष्‍ठ के अनुसार, भगवान श्री कृष्‍ण का जन्‍म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। अष्‍टमी को ही कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी मनाई जाती है। उनका कहना है क‍ि इस बार अष्‍टमी तिथि 2 सितंबर यानी रविवार की रात 8.47 से शुरू होगी जाएगी, जो 3 सितंबर 2018 को शाम 7.19 तक रहेगी। कान्‍हा का जन्‍म मध्‍य रात्रि अष्‍टमी तिथि के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। रोहिणी नक्षत्र 3 सितंबर 8.05 मिनट तक रहेगा। इस बार वर्ष 2018 में जन्‍माष्‍टमी 2 सिंतबर को मनाई जाएगी। उन्‍होंने सह भी कहा कि नंदोत्‍वसव 3 सितंबर को मनाया जाएगा।
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2 सितंबर को है जन्‍माष्‍टमी

उनका कहना है क‍ि जो भक्‍त मध्‍य रात्रि को भगवान की पूजा करके प्रसाद ग्रहण करते हैं, वह अपनी श्रद्धा के अनुसार 2 सितंबर की मध्‍य रात्रि को पूजा करके प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि जन्‍माष्‍टमी 2 या 3 सितंबर को कभी भी मनाएं पर भगवान श्री कृष्‍ण को पंचामृत से स्‍नान जरूर कराएं। दूध, दही, शहद, धृत (घी) और शक्‍कर मिलाकर पंचामृत बनाएं। इसके साथ कान्‍हा को गंगाजल से भी स्‍नान कराएं। फिर उन पर तुलसी दल अर्पित करें। उन्‍हें चांदी की प्‍लेट में रखें। अगर आपके पास पालना नहीं है तो एक मार्केट से ले लें। उसमें नए वस्‍त्र बिछाएं और फूलों से सजाएं। फिर उसमें भगवान श्रीकृष्‍ण को बैठाएं। भगवान को माखन व मिश्री का भोग लगाए। उनको चंदन का तिलक लगाएं। इसके साथ ही ओम नमो नारायणाय और ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें।
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संतान की होती है उन्‍नति

उन्‍होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्‍ण की इस तरह पूजा करने से संतान की उन्‍नति होगी। उसका प्रमोशन होगा। रोजगार के अवसर मिलेंगे। अगर विद्यार्थी है तो विद्या में वृद्ध‍ि होगी। इस मरह से पूजा करने से भक्‍त इस लोक में अपने लक्ष्‍य को प्राप्‍त करता है। उसका वंश पृथ्‍वी पर अनंत काल तक टिका रहता है।
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