यूपी-एनसीआर में इन दो हफ्तों में छा जाएगा दिन में अंधेरा, रहें होशियार, मौसम वैज्ञानिकों ने संभावना जतार्इ वैसे तो हिन्दू धर्म में सभी त्योहारों की अपनी-अपनी मान्यता है और हर त्योहार से कई किवंदितियां जुड़ी होती हैं। इसी तरह दशहरे के साथ भी एक ऐसी किवंदति जुड़ी है, जिसे कम ही लोग जानते हैं। पंडित चंद्रशेखर शर्मा बताते हैं कि विजय दशमी यानि दशहरे वाले दिन नीलकंठ पक्षी को बेहद शुभ माना जाता है। पंडित चंद्रशेखर कहते हैं कि नीलकंठ भगवान शिव का प्रतीक है। इसलिए दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन मात्र से ही जीवन में सभी समस्याओं का अंत हो जाता है। साथ ही उस व्यक्ति को धन की प्राप्ति भी होती है। वे कहते है कि नीलकंठ के विषय में एक कहावत है ‘नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो और हमारी बात राम से कहियो।’ दशहरे वाले दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन दुर्लभ हो जाता है। इसलिए लोग अपनी छतों के साथ ही आसपास के जंगल में भी जाते हैं, ताकि इसके दर्शन हो जाएं। मान्यता है कि इसके दर्शन से ही सालभर कोई विघ्न व्यापार में नहीं आता है। घर में धन की आवक शुरू हो जाती है। कहा जाता है कि इसी पक्षी को देखने के बाद भगवान श्रीराम को लंका पर विजय मिली थी।
एनडी तिवारी को यूपी के इस शहर से था बेहद लगाव, इसलिए की थी ये बड़ी घोषणा दशहरे पर नीलकंठ के दर्शन की परंपरा त्रेतायुग से जुड़ी है। लंका पर जीत के बाद जब भगवान राम को ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था। भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की एवं ब्राह्मण हत्या के पाप से खुद को मुक्त कराया। तब भगवान शिव नीलकंठ पक्षी के रूप में धरती पर पधारे थे। नीलकण्ठ अर्थात् जिसका गला नीला हो। जनश्रुति और धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शंकर ही नीलकण्ठ हैं। इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव का प्रतिनिधि और स्वरूप दोनों माना गया है। नीलकंठ पक्षी भगवान शिव का ही रूप माना जाता है।