हर साल बह जाती हैं सड़कें, होते हैं लाखों खर्च
जिले के पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से हर साल 10 से 15 किमी की अस्थायी मार्ग पर अनुमानित 3 करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च की किया जा रहा है। ऐसे में यह कहना उचित होगा कि हर साल कुंभ के बाद करोड़ों रुपए पानी की धार के साथ बह जाते हैं
गरियाबंद/राजिम. राजिम कुंभ, प्रदेश की आस्था का केंद्र माने जाने वाले इस आयोजन को लेकर एक ओर जहां प्रदेशवासियों में उत्साह है तो वहीं त्रिवेणी संगम की रेत पर बनने वाले मुरुम मार्ग (सड़क) से नदी का अस्तित्व खतरे में है। राजिम पीडब्ल्यूडी के एसडीओ पीएल पैकरा ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले साल इस मार्ग के लिए सिर्फ गरियाबंद जिले के पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से 2 मार्ग बनाए गए, जिसमें करीब 94 लाख रुपए खर्च हुआ था। यह तो एक जिले की बात हुई, इस मार्ग के निर्माण में धमतरी और रायपुर जिले से भी आवंटन जारी होता है। आयोजन का एरिया बड़ा रहता है, तो जाहिर है कि लागत तीन करोड़ रुपए से भी ज्यादा होती है।
अगर देखा जाए तो तीनों जिले के पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से हर साल 10 से 15 किमी की अस्थायी मार्ग पर अनुमानित 3 करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च की किया जा रहा है। ऐसे में यह कहना उचित होगा कि हर साल कुंभ के बाद करोड़ों रुपए पानी की धार के साथ बह जाते हैं। जब एक साल में 3 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं तो पिछले 10 सालों में कितनी राशि पानी की तरह बहाई गई होगी। यह सोचने का विषय है। अब तो जनप्रतिनिधियों के साथ नगरवासी भी इस निर्णय के विरोध में नजर आ रहे हैं।
कई साल से करता आ रहा हूं विरोध
महासमुंद सांसद चन्दूलाल साहू का कहना है कि मैं विगत दो-तीन वर्षों से त्रिवेणी की रेत पर अस्थायी सड़क का विरोध करते आ रहा हूं। नदी के अस्तित्व को बचाने तथा पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर इस अस्थायी मार्ग की जगह दूसरे विकल्प पर विचार करना जरूरी है। हमें यह नहीं भुलना चाहिए कि नदी रहेगी, तो ही राजिम व नवापारा के लोगों का जीवन रहेगा।
गंभीरता से करना होगा विचार
अभनपुर विधायक धनेन्द्र साहू का कहना है कि राजिम कुंभ आयोजन के प्रथम वर्ष से ही मैं त्रिवेणी संगम के सूखे रेत में बनने वाले मुरुम मार्ग का विरोध करते आया हूंू। यह किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। इससे न केवल शासकीय पैसों का दुरूपयोग होता है, बल्कि नदी का अस्तित्व भी संकट में आ गया है। शासन को इस ओर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
नदी के क्षरण से हम भी चिंतित
राजिम विधायक संतोष उपाध्याय का कहना है कि नदी के क्षरण के प्रति हम भी चिंतित हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और कुंभ प्रभारी मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से हमने निवेदन भी किया है, जिस पर उन्होंने आश्वस्त भी किया है। नदी को बचाने के लिए दोनों ही जिम्मेदार उचित निर्णय लेंगे, ऐसा हमें भरोसा है।
पहली बैठक में जताई थी चिंता
नवापारा पालिकाध्यक्ष विजय गोयल का कहना है कि राजिम कुंभ के उद्घाटन वर्ष की पहली बैठक में मैंने इस दिशा में चिंता जाहिर की गई थी। सभा में मैंने कहा भी था कि फिलहाल मुरुम की अस्थायी सड़क बना लें, लेकिन ईलाहाबाद की तर्ज पर धीरे-धीरे लोहे की प्लेटों की व्यवस्था की जाय। इन 9-10 वर्षों मेरे सुझाव पर अमल किया जाता, तो चिंता की कोई बात ही नहीं रहती।
यथावत रेत से ही आवाजाही हो
नगर के वरिष्ठ एल्डरमैन रमेश वैष्णव का कहना है कि पूर्व में राजिम मेला आयोजित होता था और छत्तीसगढ़ सहित देश के कोने-कोने से पर्यटक व श्रद्धालु सपरिवार यहां आते थे। उस वक्त नदी की नरम रेत पर पैदल चलकर लोग कुलेश्वर महादेव व राजीवलोचन के दर्शन करते थे। नदी में मार्ग न बनाकर यथावत रेत से ही आवाजाही होनी चाहिए।
दो शहर की जीवनदायनी है नदी
कुंभ टॉस्क फोर्स के सदस्य राजू साहू ने कहा मुरुम व मिट्टी की सड़क बनाने से नदी के अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट से लोगों का चिंतित होना स्वाभाविक है। क्योंकि यह नवापारा और राजिम दोनों की जीवनदायनी है। अस्थायी सड़क बनाने की जगह लोहे की प्लेट लगाने से नदी का संरक्षण किया जा सकता है। इस दिशा में जनहित में विचार किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
आयोजन स्थल का लिया जायजा
22 फरवरी माघ पूर्णिमा से 7 मार्च महाशिवरात्रि तक राजिम कुंभ मेला 2016 का आयोजन होने जा रहा है। इसकी तैयारियां भी शुरू हो गई है। गुरुवार को गरियाबंद कलक्टर निरंजन दास ने स्थल का निरीक्षण कर अधिकारियों की बैठक ली। शुक्रवार को राज्य के धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के निर्देश पर ओएसडी गिरीश बिस्सा ने भी आयोजन स्थल का जायजा लिया। इसके साथ ही ओएसडी बिस्सा ने राजिम विधायक संतोष उपाध्याय के साथ बैठकर विचार-विमर्श भी किया।
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा शहर के वरिष्ठ नागरिकों ने भी जन भावनाओं से जुड़ी मांगों से अवगत कराया। इस पर ओएसडी बिस्सा ने आयोजन के लिए व्यावहारिक आवश्यकताओं व समस्याओं पर तर्क पूर्ण तथ्य रखे। मालूम हो कि राजिम कुंभ स्थल पर चल रहे निर्माण कार्यों के साथ समन्वय करते हुए सुव्यवस्थित आयोजन करना निश्चित रूप से शासन के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। शहर के नागरिकों को प्रतिवर्ष की भांति धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित की जाने वाली प्रारंभिक बैठक का बेसब्री से इंतजार है।
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