scriptपहले परिवहन कार्यालय संचालित हुआ, अब निगम का कबाडख़ाना बनी परिवहन निगम की संपत्ति | Earlier the transport office was operated, now the junkyard of the corporation has become the property of the Road Transport Corporation | Patrika News
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पहले परिवहन कार्यालय संचालित हुआ, अब निगम का कबाडख़ाना बनी परिवहन निगम की संपत्ति

सड़क परिवहन विभाग को गलत जानकारियां देकर घाटा दर्शाते हुए बंद किया गया था, जबकि विभाग के पास हजारों करोड़ की बेशकीमती संपत्तियां थीं। यहां सागर में भी शहर के बीचों-बीच सपनि की छह से आठ एकड़ जगह है, जिसमें डिपो (पुराना आरटीओ कार्यालयद्ध और बस स्टैंड की जमीन शामिल है।

सागरJul 26, 2024 / 12:34 pm

Madan Tiwari

सड़क परिवहन निगम

सड़क परिवहन निगम

दूसरे विभागों ने हथिया लीं सपनि की बेशकीमती संपत्तियां, पुराने आरटीओ कार्यालय की तीन से चार एकड़ जमीन स्मार्ट सिटी को सौंपी, अब बस स्टैंड भी शिफ्ट कर दिया

सागर. सड़क परिवहन विभाग को गलत जानकारियां देकर घाटा दर्शाते हुए बंद किया गया था, जबकि विभाग के पास हजारों करोड़ की बेशकीमती संपत्तियां थीं। यहां सागर में भी शहर के बीचों-बीच सपनि की छह से आठ एकड़ जगह है, जिसमें डिपो (पुराना आरटीओ कार्यालयद्ध और बस स्टैंड की जमीन शामिल है। डिपो में तो सपनि बंद होने के बाद क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय संचालित हुआ, लेकिन अब यह जगह नगर निगम का कबाडख़ाना बन गई है। यहां अधिकांश जगह में निगम के वाहन, चलित शौचालय और अन्य तरह का कबाड़ रखा हुआ है।
परिवहन कार्यालय राजघाट रोड पर शिफ्ट होने के बाद खाली पड़ी सड़क परिवहन की जमीन को अधिकारी और नेताओं ने मिलकर स्मार्ट सिटी को सौंप दिया। जिसके बाद यहां दो नए भवन भी तैयार किए गए हैं, जिसमें एक वर्किंग वूमन के लिए हॉस्टल तो एक अन्य भवन शामिल है, लेकिन जमीन का अधिकांश हिस्सा अब भी खाली पड़ा हुआ है, जिसका उपयोग कबाडख़ाने के रूप में किया जा रहा है।

– बस स्टैंड शिफ्ट, प्लानिंग का पता नहीं

सड़क परिवहन की जमीन पर संचालित बस स्टैंड को हालही में प्रशासन ने शिफ्ट करा दिया है। इसके बाद पुराने बस स्टैंड की करीब चार एकड़ जमीन खाली हो गई है, इस जमीन को लेकर क्या प्लानिंग है फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन शहर में चर्चा है कि जिस उतावलेपन से नेता-अधिकारियों ने मिलकर बस स्टैंड की शिफ्टिंग कराई है उसको देखकर लग रहा है कि शहर के बीच खाली हुई इस जमीन को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है। हालांकि इस बात को लेकर प्रशासनिक स्तर से कोई जवाब नहीं मिल रहा है।

– संपत्ति की जानकारी छिपाई

सड़क परिवहन से बीआरएस लेने वाले परिचालक अशोक वाजपेयी से इस मामले में बात हुई तो उनका कहना था कि विभाग को बंद करने में सभी की मिलीभगत रही। लगातार नुकसान दिखाया गया और विभाग को बंद कर कर्मचारियों को बीआरएस लेने मजबूर कर दिया। किसी ने भी विभाग की प्रदेश भर में मौजूद बेशकीमती संपत्तियों की जानकारी नहीं दी, यदि संपत्ति की जानकारी लेखाजोखा में शामिल करते तो कहीं से नुकसान में नहीं थे, क्योंकि अधिकांश जिला मुख्यालयों पर शहर के बीचों-बीच विभाग के डिपो, बस स्टैंड थे, जिनकी बाजार में कीमत हजारों करोड़ रुपए थी।
सड़क परिवहन से बीआरएस लेने वाले परिचालक अशोक वाजपेयी से इस मामले में बात हुई तो उनका कहना था कि विभाग को बंद करने में सभी की मिलीभगत रही। लगातार नुकसान दिखाया गया और विभाग को बंद कर कर्मचारियों को बीआरएस लेने मजबूर कर दिया। किसी ने भी विभाग की प्रदेश भर में मौजूद बेशकीमती संपत्तियों की जानकारी नहीं दी, यदि संपत्ति की जानकारी लेखाजोखा में शामिल करते तो कहीं से नुकसान में नहीं थे, क्योंकि अधिकांश जिला मुख्यालयों पर शहर के बीचों-बीच विभाग के डिपो, बस स्टैंड थे, जिनकी बाजार में कीमत हजारों करोड़ रुपए थी।
किसी ने भी विभाग की प्रदेश भर में मौजूद बेशकीमती संपत्तियों की जानकारी नहीं दी, यदि संपत्ति की जानकारी लेखाजोखा में शामिल करते तो कहीं से नुकसान में नहीं थे, क्योंकि अधिकांश जिला मुख्यालयों पर शहर के बीचों-बीच विभाग के डिपो, बस स्टैंड थे, जिनकी बाजार में कीमत हजारों करोड़ रुपए थी।

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