कोरोना वायरस का XE वैरिएंट ओमिक्रॉन का ही सब वैरिएंट बताया जा रहा है। ओमिक्रॉन से ही भारत में कोरोना की तीसरी लहर आई थी। हालांकि, इस लहर से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, जितना दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट की वजह से हुआ था। वहीं XE के केस को लेकर बहस ऐसे वक्त पर छिड़ी, जब भारत में करीब दो साल बाद रोजाना 1000 से कम केस आ रहे हैं।
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क्या है XE वैरिएंट
देश में इस वर्ष कोरोना के कुल मामलों में से 90 फीसदी केस ओमिक्रॉन के मिले थे। ओमिक्रॉन के दो सब वैरिएंट BA.1 और BA.2 सामने आए हैं। वहीं इसका BA.3 वैरिएंट भी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, नया एक्सई वेरिएंट पहली बार 19 जनवरी को यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) में मिला था। तब से सैकड़ों रिपोर्ट और पुष्टि की जा चुकी है। यह दो अन्य ओमिक्रॉन वेरिएंट बीए.1 और बीए.2 का एक म्यूटेंट हाइब्रिड है और वैश्विक स्तर पर फैल रहा है।
कितना खतरनाक है XE वेरिएंट?
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि नया म्यूटेंट ओमिक्रॉन का बीए.2 सब-वेरिएंट की तुलना में लगभग 10 फीसदी ज्यादा ट्रांसमिसिबल (तेजी से फैलने वाला) है, जो किसी भी स्ट्रेन से ज्यादा संक्रमणीय हो सकता है।
महाराष्ट्र में मिले पहले मामले ने स्वास्थ्य हलकों में चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि महाराष्ट्र ठीक होने की राह पर है और चल रही तीसरी लहर के अंतिम चरण में है।
हालांकि दुनिया भर में एक्सई के फिलहाल कम ही मामले देखने को मिले हैं, लेकिन इसकी अत्यधिक उच्च संचरण क्षमता का मतलब यह हो सकता है कि यह आने वाले समय में प्रभावशाली स्ट्रेन बन सकता है। ऐसे में देश में चौथी लहर का जिम्मेदार भी हो सकता है।
ये हैं XE वेरिएंट के लक्षण
यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक, XE में नाक बहने, छींकने और गले में खराश जैसे लक्षण होते हैं। जो वायरस के मूल स्ट्रेन के विपरीत होते हैं, क्योंकि मूल स्ट्रेन में आमतौर पर रोगी को बुखार और खांसी की शिकायत रहती है।
इसके साथ ही उसे किसी चीज का स्वाद नहीं आता और कोई गंध भी नहीं आती है। 22 मार्च तक इंग्लैंड में एक्सई के 637 मामलों का पता चला था।
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