बिहार के सारण जिले में जहरीली शराब पीने से सात लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। ये मौतें मंगलवार रात से बुधवार सुबह तक हुई हैं। परिवार के सदस्यों ने दावा किया है कि मंगलवार को दोपहर में शराब पीने के बाद शाम को पीड़ितों की तबीयत बिगड़ने लगी। घटना से गुस्साए आसपास के इलाकों के ग्रामीणों ने हाईवे 73 और 90 को जाम कर दिया और मुआवजे के साथ-साथ नकली शराब बेचने वाले आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की।
हालांकि, जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि अभी तक मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और नतीजों का इंतजार है। अधिकारी उन लोगों के बयान भी दर्ज कर रहे हैं जो कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से बीमार पड़ गए और सदर अस्पताल छपरा और अन्य निजी अस्पतालों में भर्ती है।
मालूम हो कि बिहार में 2016 से शराबबंदी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाज सुधार अभियान के तहत शराबबंदी को अपना सबसे बड़ा काम मानते हैं। लेकिन शराबबंदी के बाद भी बिहार में शराब की चोपी-छिपे जमकर बिक्री होती है। इससे पहले भी बिहार में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत हुई है।
इसी साल अगस्त में सारण जिले के मसरख और मरौरा गांव में जहरीली शराब पीने से 13 लोगों की जान चली गई थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जनवरी से नवंबर तक बिहार में जहरीली शराब से 173 लोगों की मौत हुई है।
हालांकि हकीकत में यह आंकड़ा कही अधिक है। होली के समय ही भागलपुर, बांका सहित कई जिलों में तीन दर्जन से अधिक लोगों की जहरीली शराब से मौत हुई थी शराब की चोरी-छिपे बिक्री और जहरीली शराब से मौत को लेकर विपक्षी दल लगतार नीतीश कुमार सरकार उठाता रहा है।
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इधर बिहार विधानसभा के बाहर भाजपा विधायकों ने कई मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा,”नशाबंदी को लागू करने के तरीके को और बेहतर करने की ज़रूरत है। इसे सख्ती से लागू करने के साथ-साथ दंड देने के तरीके को भी बदलने की ज़रूरत है।”