कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के उस पार तिब्बत क्षेत्र में काफी तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित किया जा रहा है। चीन लगातार अपनी सड़कों और रेल-हवाई मार्ग को बढ़ाने का काम कर रहा है। इसलिए वे किसी भी हालात से निपटने या सेना तैनात करने के लिहाज से बेहतर स्थिति में हैं।”
सीमा के पास भारतीय सेना भी अपने बुन्यादी ढांचे और क्षमताओं को लगातार विकसित कर रहा है। कलीता ने कहा कि चीनी अधिकारियों ने सीमा के करीब गांवों को दो तरह से प्रयोग करने के हिसाब से विकसित किया है। लेकिन हम लगातार उसकी हरकतों की निगरानी कर रहे हैं। हम भी लगातार अपनी तरफ इन्फ्रास्ट्रक्चर और क्षमताओं को बढ़ा रहे हैं, ताकि आगे आने वाली किसी भी स्थिति को ठीक ढंग से संभाला जा सके। उन्होंने हमें मजबूत स्थिति में होने का कारण दिया है।
साथ ही भारतीय थलसेना के कमांडर ने कबूल किया है कि सीमावर्ती स्थलों पर क्षमताओं और बुनियादी ढांचे को विकसित करने में दुर्गम स्थल और खराब मौसम सबसे बड़ी चुनौती हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय थलसेना ‘उच्च स्तर की अभियानगत तैयारियों’ के साथ पूरी तरह तैयार है।
आपको बताते चलें, बीआरओ के 63वें स्थापना दिवस के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, “हाल के दिनों में उत्तरी सेक्टर में चीनी उपस्थिति बढ़ी है। पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण में अपनी दक्षता के कारण, वे बहुत जल्द विभिन्न स्थानों तक पहुंचने का प्रबंधन करते हैं।” उन्होंने ये भी कहा कि भारत की सीमाओं की रक्षा करने वालों को अधिकतम सुविधाएं प्रदान करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास सरकार की ‘व्यापक रक्षा रणनीति’ एक प्रमुख हिस्सा है। यह देश के समग्र सुरक्षा तंत्र को मजबूत करेगा।