रक्षासूत्र गले में बांधते ही बाधाएं हो जातीं हवा
नरसिंहपुर•Feb 03, 2019 / 02:15 pm•
ajay khare
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गाडरवारा-सालीचौका। भारत आस्थाओं का देश है, आस्था विश्वास के बूते हिंदुस्तानी असंभव को भी संभव कर दिखाते हैं। इसी कड़ी में आज विज्ञान के युग में भी महज मन्नत के एक धागे से भूत-प्रेत बुरी आत्माओं को भगाने का विश्वास लेकर सैकड़ों लोग एक संत की समाधि पर प्रतिवर्ष महाबदी बारस पर जुटते हैं। इन तमाम सवालों के जबाव के लिए नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा तहसील के एक छोटे से ग्राम मारेगांव में हर वर्ष भूतों का मेला लगता है। यहां पर बनी गुरुदेवादास समाधि स्थल पर लगने वाले इस मेले में हजारों की संख्या में जनमानस उमड़ता है। इस मेले की खास बात ये है कि मेले में बिकने वाले अनोखे धागों की चर्चा जोरों पर रहती है। जिसे खरीदकर लोग बाबा से अपने गले मे बंधवाकर बुरी आत्माओं से मुक्ति पाकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। वहीं मेले में लगी दुकानों से जमकर खरीदारी करते हुए मेले का मजा भी लेते है। लोकमान्यता है किसी भी भूत प्रेत बाधाओं के लिए इस समाधि पर बुजुर्ग पुजारी द्वारा झाड़ फूंक कर एक रक्षा सूत्र पीडि़त और अपनी मनोकामना लेकर आने वाले लोगों के गले बांधा जाता है। जिसके बाद पीडि़तों का दावा है, उनको उनकी हर समस्या से निजात मिलती है।
हालांकि भूत प्रेत और अन्य बाधाओं को लेकर पत्रिका और साइंस के जानकार भी इस तरह की घटनाओं पर किसी भी तरह का भरोसा नहीं करते। लेकिन जिस तरह से लोगों को इस झाड़ फूंक से फायदा मिलता है। लोगों की आस्था और उनके भरोसे को देखते हुए यह झुठलाया भी नहीं जा सकता। क्योंकि यहां पर हर आने.जाने वाले पीडि़त दावा कर रहे हैं कि उन्हें इस समाधि पर आकर आराम मिला है। अब यह अंधविश्वास हो या लोगों की आस्था या भरोसा। लेकिन यहां पर हर माथा टेकने वाले भक्तों की मुरादें पूरी हुई उन्हें भूत प्रेत जैसी बाधाओं से छुटकारा मिला है। कहीं ना कहीं भगवान के चमत्कार और लोगों के विश्वास के बीच अंधविश्वास जैसे शब्द का उपयोग करना जायज नहीं है। क्योंकि यहां पर बरसों से लोगों को अपनी मुरादें और भूत प्रेत जैसी बाधाओं से आराम मिलता आ रहा है। शुक्रवार को भी ऐसा ही मेला लगाया गया। जिसमें अनेक लोग शामिल हुए एवं लाभ लिया।
समाधि पर बरसों से पूजन पाठ कर रहे पुजारी ने पत्रिका को बताया कि जिस व्यक्ति को भूत प्रेत और अन्य प्रकार की प्रेत आत्माएं परेशान करते हैं। उन्हें यहां पर खड़े खंभे से चिपकाया जाता है। खंभे से चिपकने के बाद सारी भूत प्रेत आत्माएं इस लकड़ी के बने खंबे में ही चिपक कर रह जाती हैं, और पीडि़़त को भूत प्रेत जैसी बाधाओं से निजात मिल जाती है।
समाधि पर आशीष लिए बिना नहीं निकलती बारात
मेले के अलावा इस ग्राम की परम्परा है कि गांव में किसी के घर भी शादी होती है। तो बारात जब तक घर से नहीं निकलेगी, जब तक दूल्हा समाधि स्थल पर जाकर समाधि की परिक्रमा कर गुरूदेव का आर्शीवाद न ले ले। उसके बाद ही बारात गांव से रवाना होती है। इसके बाद पूरी शादी बिना किसी बाधा संपन्न होती है।
भूतों का नहीं संतों का मेला
गांव के बुजुर्गों समेत अनेक ग्रामवासियों का कहना है यह वास्तव में संतों का मेला है। लोगों की आस्थाऐं इस मेले से जुड़ी हुई हैं। आदि काल से लोगों की समस्याएं, बलाएं भूत बाधा दूर होती हैं, इसलिए कुछ लोग इसे भूतों का मेला भी कहते है। लेकिन जो भी होता है वह संतों के आशीर्वाद से होता है, अत: यह भूतों का नहीं संतों का मेला है। मारेगांव समाधि स्थल के पुजारी के अनुसार यहां लोगों की मुरादें पूरी होती हैं। बच्चे बूढ़े,महिलाऐं सभी को भभूति दी जाती है। जिससे लोगों के संकट दूर होते हैं। इस कारण ही बड़ी संख्या में लोग समाधि स्थल पर दूर दूर से आते हैं, आने वाले हर किसी को लाभ भी मिलता है।
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