scriptकोरोना काल के बाद 60 फीसदी तक बढ़ा होम्योपैथी का इलाज | Homeopathy treatment increased by 60 percent after the Corona period | Patrika News
नर्मदापुरम

कोरोना काल के बाद 60 फीसदी तक बढ़ा होम्योपैथी का इलाज

पहली पसंद नहीं लेकिन पहली स्थायी पसंद बन रही होम्योपैथी पद्धति

नर्मदापुरमApr 09, 2023 / 09:03 pm

rajendra parihar

कोरोना काल के बाद 60 फीसदी तक बढ़ा होम्योपैथी का इलाज

कोरोना काल के बाद 60 फीसदी तक बढ़ा होम्योपैथी का इलाज

नर्मदापुरम- (डॉ. अक्षय कुमार जैन, होम्योपैथीक मेडिकल ऑफिसर, होम्योपैथीक औषधालय, नर्मदापुरम)
कांच की शीशी में सफेद रंग की मीठी गोलियां, ये पहचान है होम्योपैथी दवाओं की। हर घर के किसी न किसी सदस्य ने कभी न कभी होम्योपैथी की दवाई का सेवन जरूर किया होगा। दुनियाभर में होम्योपैथी से ट्रीटमेंट किया जाता है। एलोपैथी, आयुर्वेद के साथ होम्योपैथी पद्धति का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना काल के बाद इसका चलन 40 से 60 फीसदी तक बढ़ा है। भले ही हम होम्योपैथी को इलाज का सस्ता और सुगम तरीका मानते हों लेकिन आज भी सबसे ज्यादा लोग एलोपैथी का ही सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं क्योंकि लोगों को बीमार होने पर तुरंत ठीक होने की भी जल्दी रहती है। ये अलग बात है कि सभी तरह की पद्धतियों को अपनाने के बाद लोग आखिरकार होम्योपैथी की शरण में जाते हैं। देखने में यह भी आया है कि कोरोना के बाद धीरे-धीरे लोग इसे प्रथम उपचार पद्धति के तौर पर आजमा रहे हैं।
दो सिद्धांतों पर काम करती है होम्योपैथी
आज से करीब 200 साल पहले जर्मनी में होम्योपैथी उपचार पद्धति की शुरूआत हुई थी। होम्योपैथी मुख्यरूप से दो सिद्धांत पर काम करती है। पहला लाइक क्योर लाइक जिसका मतलब है कि बीमार लोगों का इलाज करने के लिए ऐसे पदार्थ को खोजना जो कि, स्वस्थ लोगों में समान लक्षण पैदा करता हो। वहीं दूसरा नियम है वो है न्यूनतम खुराक का नियम इसका मतलब है कि दवा की खुराक जितनी कम होगी, उसकी प्रभावशीलता उतनी ही अधिक होगी। होम्योपैथी दवाईयां अधिकतर लाल प्याज, पर्वती जड़ी बूटियों जैसे अर्निका, बेलाडोना, सफेद आर्सेनिक जैसे पौधों और खनिज से तैयार की जाती है।
फैक्ट फाइल
औषधालय – 07
चिकित्सा अधिकारी – 03 पदस्थ – 04 रिक्त
मैदानी अमला – 28

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