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मुजफ्फरनगर

Kairana By Election Result 2018 Update : मोदी लहर को गठबंधन की चुनौती, क्या बीजेपी बचा पाएगी अपनी साख !

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना और नूरपुर में हुए उपचुनाव के नतीजों के लिए मतगणना जारी है, बीजेपी बनाम विपक्षी गठबंधन में किसका होगा कैराना

मुजफ्फरनगरMay 31, 2018 / 02:13 pm

Ashutosh Pathak

kerana

मोदी लहर को गठबंधन की चुनौती, क्या बीजेपी बचा पाएगी अपनी साख !

शामली। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कैराना और बिजनौर जिले के नूरपुर में हुए उपचुनाव के नतीजों के लिए मतगणना जारी है। लेकिन जिस सीट पर सबकी निगाहें टिकी हैं वो है कैराना लोकसभा की सीट। इस सीट को जितने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। सीएम योगी खुद चुनावी प्रचार के लिए यहां पहुंचे। लेकिन बीजेपी के रथ को रोकने के लिए विपक्ष मे बीजेपी के खिलाफ बड़ा चक्रव्यूह रच दिया। गोरखपुर और फूलपुर में सीट बीजेपी से छिनने के बाद अब कैराना में भी सपा, रालोद, बसपा, कांग्रेस ने गठबंधन कर बीजेपी को चौंका दिया। इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी समेत कई संगठनों ने भी विपक्षी एकता को समर्थन कर दिया। इसके बाद कैराना में अब बीजेपी बनाम विपक्षी गठबंधन है। बीजेपी विपक्षी एकता के इस गठबंधन को तोड़ पाती है या नहीं ये तो कुछ घंटों में साफ हो जाएगा। साथ ही 2019 की रुपरेखा का भी आकलन सामने आ जाएगा।
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वैसे कैराना सीट जितना जीतना बीजेपी के लिए अहम है उतना ही विपक्ष के रालोद के लिए भी। बीजेपी के लिए इस सीट की अहमियत इसलिए है क्योंकि इस सीट का प्रतिनिधित्व पार्टी के कद्दावर नेता हुकुम सिंह करते रहे हैं और पश्चिम उत्तर प्रदेश में आधार बनाए रखने के लिए कैराना की जीत जरूरी है। वहीं राजनीति के हाशिये पर चल रही रालोद ने इस सीट को जितने के लिए हर संभव कोशिश की है। यहां तक की इस सीट से पहले रालोद के जयंत चौधरी चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन बीजेपी से टक्कर लेने और गठबंधन के ऐलान के बाद संयुक्त प्रत्याशी उतारने का फैसला हुआ। क्योंकि रालोद इस सीट के जरिए पार्टी को फिर से जीवित कर 2019 में मजबूती के साथ ताल ठोकने की तैयारी में है।
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बीजेपी ने इस सीट को जितने के लिए कोई कोर सकर तो नहीं छोड़ी है लेकिन जीत की ज्यादातर दारोमदार इलाके के जातीय समीकरण पर टिका है। कैराना सीट शामली जिले की तीन और सहारनपुर जिले की दो विधानसभाओं को मिलाकर बनी है। जिसके लिए करीब 60 फिसदी वोटर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला कर रहे हैं। अगर वोटों को देखे तो आरएलडी की उम्मीद होने के कारण तबस्सुम को जाटों का समर्थन मिलेगा। एसपी का समर्थन मुसलमानों और ओबीसी के वोट दिला सकता जबकि बीएसपी का समर्थन अनूसूचित जाति के वोट दिलाएगा, कांग्रेस का समर्थन ऊंची जातियों के साथ मुसलमानों के वोट भी दिलाएगा।

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