पिछले दिनों प्रशांत किशोर ने विदर्भ राज्य आंदोलन से जुड़े लोगों से ऑनलाईन बैठक की थी। किशोर की 20 सदस्यीय टीम ने इस साल जुलाई में महाराष्ट्र का दौरा किया था और विदर्भ के 11 जिलों को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाया है। एक समय था, जब अलग विदर्भ को लेकर बीजेपी सदन से सड़क तक उतर जाती थी, लेकिन सत्ता मिलते ही वो इस मुद्दे को भूल गई है। राज्य व केंद्र की सत्ता में रहने के बावजूद बीजेपी ने अलग विदर्भ राज्य को लेकर मौन है।
बता दें कि अलग विदर्भ राज्य आंदोलन से जुड़े रहे राज्य के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अणे ने बताया कि प्रशांत किशोर के पास अलग विदर्भ राज्य को लेकर कुछ अलग योजना है। इस मामले में पूर्व विधायक आशीष देशमुख ने प्रशांत किशोर से संपर्क किया। उन्हीं के आमंत्रण पर वह नागपुर आ रहे हैं। मैं 20 सितंबर को होने वाली बैठक का हिस्सा नहीं बन पाऊंगा, क्योंकि मैं बाहर हूं।
11 जिलों को मिलाकर विदर्भ: बता दें कि महाराष्ट्र के 11 जिलों को अलग कर विदर्भ राज्य बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन पिछले साल से यह मांग ढ़ीली पड़ गई है। जमाने से विदर्भ के लोग अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे।