बारामती से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस की प्रशंसा की और कहा कि वह पूरे कैबिनेट में एकमात्र मंत्री हैं जो सरकार के गठन के दिन से ही एक्शन मोड में हैं। इससे पहले उद्धव गुट ने ‘सामना’ में गढ़चिरौली जिले में उनके काम के लिए तारीफ की।
पुणे में महात्मा फुले वाडा में समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए सुप्रिया ने कहा, “स्वर्गीय आरआर पाटिल जब राज्य के गृह मंत्री थे, तब उन्होंने गढ़चिरौली जिले में विकास कार्य शुरू किया था। अब फडणवीस उस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं यह देखकर अच्छा लगता है।”
उन्होंने कहा, “प्रचंड जनादेश मिलने के बाद भी सरकार में केवल फडणवीस ही पहले दिन से एक्शन मोड में दिख रहे हैं। बाकि कोई और मंत्री अभी तक सक्रिय नहीं दिख रहा है। जबकि फडणवीस मिशन मोड में काम कर रहे है, हर जगह नजर आ रहे है…हमारी तरफ से फडणवीस को शुभकामनाएं।”
शीतकालीन सत्र के बाद राज्य के कई मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों का कार्यभार संभाला। हालांकि महायुति सरकार के गठन के लगभग एक महीने बाद भी कई मंत्रियों ने पदभार नहीं संभाला है। इनमें से कुछ मंत्री पसंद का मंत्रालय नहीं मिलने से नाराज बताये जा रहे है। हालांकि सीएम फडणवीस ने सभी को जल्द से जल्द अपने मंत्रालय का कार्यभार संभालने को कहा है।
सामना में क्या लिखा?
सीएम फडणवीस की तारीफ करते हुए उद्धव गुट की ओर से सामना में लिखा गया, नए साल पर मुख्यमंत्री ने गढ़चिरौली जिले को चुना और नए साल का पहला दिन गढ़चिरौली में बिताया। सिर्फ बिताया ही नहीं, बल्कि कई विकास परियोजनाओं का भूमिपूजन, उद्घाटन किया। कुछ परियोजनाओं का लोकार्पण किया। जब कैबिनेट के कई मंत्री मलाईदार महकमों और विशेष जिले के ही पालकमंत्री पद के लिए अड़े बैठे हुए थे, सीएम फडणवीस गढ़चिरौली पहुंचे और उस नक्सल प्रभावित जिले में विकास के एक नए पर्व की शुरुआत की। गढ़चिरौली के आदिवासियों की जिंदगी बदल जाएगी। यदि मुख्यमंत्री ने जो कहा वह सच है तो यह न केवल गढ़चिरौली, बल्कि यह पूरे महाराष्ट्र के लिए अच्छा होगा। एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना के नेता और मंत्री संजय शिरसाट ने उद्धव गुट के नेता संजय राउत के बदले रुख पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि राउत अब कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) का साथ छोड़कर अपनी दिशा बदल रहे हैं। उद्धव गुट अब कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के साथ नहीं रहना चाहता, क्योंकि उन्हें यह समझ में आ गया है कि महाविकास आघाडी (MVA) में रहकर उनका भविष्य अच्छा नहीं है।