ऐसे आया आईडिया
प्रोजेक्ट बनाने वाले दिवाकर शर्मा ने बताया कि उन्हें अपनी बहन की सुरक्षा की चिंता सताती थी। इसको लेकर यह आइडिया आया। इसके बाद इस पर साथियों से बात की और काम शुरू किया। पूरा प्रोजेक्ट तैयार करने में उनकी टीम को डेढ़ साल लग गए।
ये उपकरण लगे हैं
सैंडल में एक छोटा सिस्टम लगाया गया है। सिस्टम में एक जीएसएम (ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल) सिम, जीपीएस, दो पिन और आर्डिनो (मशीनरी को एक्टिव करने के लिए) लगा है। इसी सिस्टम के साथ ड्रोन को भी जोड़ा गया है। ड्रोन में भी यही उपकरण लगें है, जो आसपास के पुलिस स्टेशन पर स्थापित रहेगा।
ऐसे करेगा काम
सिस्टम के साथ सैंडल में अंदर की ओर किनारे पर एक बटन लगाया गया है। किसी भी असहज स्थिति पर लड़की जैसे ही बटन पर दूसरे पैर से किक करेगी, सिस्टम तुरंत काम करना शुरू कर देगा और सैंडल के आगे की ओर से दो पिन निकल आएंगी। इससे 0.45 मिली एंपियर का करंट निकलेगा। सामने वाले व्यक्ति के ये पिन छूते ही वह अचेत होकर गिर पड़ेगा। साथ ही जीएसएम और जीपीएस सिस्टम से महिला की लोकेशन संबंधित व्यक्तियों को पहुंच जाएगी। इसके साथ ही संबंधित पुलिस स्टेशन पर लगा ड्रोन भी काम शुरू कर देगा। ड्रोन सायरन के साथ उड़कर ठीक महिला की लोकेशन पर पहुंच जाएगा, इससे संबंधित व्यक्ति कैमरे में कैद हो जाएगा। इसके बाद वह बच नहीं सकता और आसानी से असहज हो जाएगा।
प्रोजेक्ट का हो चुका है चयन
यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय प्रतियोगिता में चयनित हो चुका है। टेक्सास इंस्ट्रूमेंट द्वारा कराई गई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में आए नौ हजार प्रोजेक्ट में इसे वरीयता मिली थी। एकेटीयू की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में इसका चयन हुआ।