सत्याग्रह का आगाज़
इसके साथ उन लोगों की बातें ना मानकर बापू ने किसानों के लिए सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत कर दी। इन दोनो अधिकारियों ने बापू को जब धमकाया तब ये बातें तीन औरतों को पता थी। और ये औरतें ही इसकी गवाह थी।
जब औरतों के पास नहीं थे कपड़े
सत्याग्रह और चंपारण के आंदोलन के दौरान जो हुआ इसकी गवाही के लिए तीन औरतों को आना था। उन औरतों के पास आने के लिए साड़ी नहीं थी। उन तीनों के पास सिर्फ एक ही साबुत साड़ी थी। ऐसी समस्या होने के बात गवाही पर संकट के बादल उमड़ रहे थें जो कि बहुत जरूरी थी।
बारी-बारी करके आई औरतें
इसके बाद जो हुआ वो हमारे आपको सोचने पर मजबूर कर देगा। दरअसल उन औरतों ने पहले तो आने से मना कर दिया फिर एक औरत आई जिसके पास साड़ी थी। उसकी गवाही के वो औरत वापस घर गई और दूसरी को अपनी साड़ी दी। ऐसे करके एक ही साड़ी पहन कर उन तीनों ने गवाही दी। इस बात को देखकर गांधी जी को काफी बड़ी धक्का लगा।इसके बाद बताया गया ही गांधी जी ने देखा की उनके देश की जनता का कितना बुरा हाल है। गांधी जी ने कही कि वो भी आज के बाद कपड़े त्याग करके केवल धोती ही पहनेंगें। तब से लेकर अपने मरते दम तक बापू ने सिर्फ धोती ही पहनी।