ब्लू फ्लैग टैग या फिर सर्टिफिकेशन एक वैश्विक सम्मान है। ये सम्मान उन समुद्र तटों को दिया जाता है जो साफ होने के साथ-साथ सुरक्षित हों। अगर कोई समुद्र तट एफईई के 33 मानदंडों पर खड़ा उतरता है, जिनमें पर्यावरण, शैक्षिक और सुरक्षा आदि शामिल हैं तो उन्हें ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेट दिया जाता है। इसी कड़ी में देश के 8 समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन दिया गया है।
ब्लू फ्लैग कार्यक्रम का संचालन डेनमार्क का ‘फाउंडेशन फॉर एनवायरमेंट एजुकेशन’ करता है। इसे वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त ईको-लेबल में से एक माना जाता है। बीते महीने फाउंडेशन फॉर इन्वायरमेन्ट एजुकेशन ( FEE ) की एक अंतरराष्ट्रीय जूरी ने डेनमार्क के वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों की एक राष्ट्रीय जूरी की ओर से की गई सिफारिश को सही ठहराया है। इसमें भारत के 8 बीचेज को ‘ब्लू फ्लैग बीच’ टैग देने की सिफारिश की।
वर्ष 2018 में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश के 13 समुद्री तटों को ब्लू फ्लैग के लिए चिह्नित किया था। इनमें से फिलहाल 8 के नाम 18 सितंबर को भेजे गए थे, जिन्हें मानकों पर पूरी तरह खरा पाया गया।
ब्लू टैग का दर्जा प्राप्त करने वाले भारतीय समुद्र तटों में गुजरात का शिवराजपुर , दीव का घोघला , कर्नाटक के दो बीच कासरकोड और पदुबिद्री , केरल का कप्पड़ , आंध्र प्रदेश का रुशिकोंडा, ओडिशा का गोल्डन अंडमान का राधानगर समुद्र तट शामिल है।