पीएम मोदी ने, इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा, हम 2030 तक प्रति वर्ष 2 अरब टन कार्बन उत्सर्जन कम कर सकते हैं। मैं इस फोरम से एक और पर्यावरण के अनुकूल, प्रभावी एवं सकारात्मक पहल का आह्वान कर रहा हूं, ग्रीन के्रडिट्स इनीशिएटिव। यह जन भागीदारी से कार्बन सिंक बनाने का अभियान है। मैं उम्मीद करता हूं कि आप सब इससे जरूर जुड़ेंगे।
पीएम मोदी ने कहा, भारत में विश्व की 17 फीसदी आबादी होने के बावजूद, ग्लोबल कार्बन उत्सर्जन में हमारी हिस्सेदारी 4 फीसदी से भी कम है। भारत विश्व की उन कुछ अर्थव्यवस्थाओं में है, जो जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने की राह पर है। हमारा लक्ष्य 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता को 45 फीसदी घटाना तथा गैर जीवाश्मीय ईंधन का हिस्सा 50 फीसदी करना है। लिहाजा, 2028 में जलवायु सम्मेलन भारत की मेजबानी में हो।
-मानव जाति के एक छोटे हिस्से ने प्रकृति का अंधाधुंध दोहन किया। लेकिन इसकी कीमत पूरी मानवता को चुकानी पड़ रही है।
-हमें संकल्प लेना होगा कि हर देश अपने लिए जो जलवायु लक्ष्य तय कर रहा है, जो संकल्प कर रहा है, वो पूरा करके ही दिखाएगा।
-हमें वैश्विक कार्बन बजट में सभी विकासशील देशों को उचित शेयर देना होगा। हमें अधिक संतुलित होना होगा।
-हमें ये संकल्प लेना होगा कि अनुकूलन, शमन, जलवायु वित्तपोषण, प्रौद्योगिकी, हानि और क्षति इन सब पर संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ें।
-अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरे देशों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण करें। स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति शृंखला को सशक्त करें।”