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तापमान में 4.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना
सऊदी अरब की शाह अब्दुलअजीज यूनिवर्सिटी के प्रो. मंसूर अलमाजरूई के नेतृत्व में हुई इस स्टडी में कहा गया कि भारत में 21वीं सदी के अंत तक वार्षिक औसत तापमान में 4.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है। दरअसल, शुक्रवार को विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में बोलते हुए अलमाजरूई ने कहा कि भारत विश्व में दूसरी घनी आबादी वाला देश है और शायद भविष्य में पहला। उन्होंने कहा कि भारत अधिक संवेदनशीलता और कम अनुकूलन क्षमता वाला देश है। यही सब कारण जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत अधिक जोखिम में डालते हैं।
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मैदानी इलाकों में चलेंगी भयंकर लू
वहीं, ‘अर्थ इकोसिस्टम ऐंड इनवायरोन्मेंट’ जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय जनसंख्या के एक बड़े भाग के साथ यहां कि पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था भी जलवायु परिवर्तन के लिहाज से अधिक खतरे में है। स्टडी में आगे कहा गया कि तापतान बढ़ने के कारण ग्लेशियर का पिघलना उत्तर पश्चिम भारत में भीषण बाढ़ का कारण बन सकता है। जबकि मैदानी इलाकों में चलने वाली भयंकर लू लोगों के जीवन को संकट में डाल सकती हैं।
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इन राज्यों में सबसे अधिक खतरा
स्टडी में बताया गया कि भारत के उत्तर पश्चिम जैसे गुजरात और राजस्थान समेत कई राज्यों में घनघोर बारिश हो सकती है, जिसकी वजह से मौसम में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। इसके साथ ही ग्लेशियारों के पिघलने से भविष्य में नदियों के जल स्तर हैरान कर देने वाली गति से बढ़ेगा।