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सवाई माधोपुर

दो पाटों में फंसे पिस रहे हैं प्यासे उद्योग

गंगापुरसिटी. औद्योगिक क्षेत्र में पानी का मामला दो विभागों के बीच अटक गया है। जलदाय विभाग व रीको प्रशासन की अनदेखी के चलते यहां संचालित औद्योगिक इकाइयों को पानी नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि यहां न तो नई इकाइयों की स्थापना हो रही हैं और न ही संचालित फैक्ट्रियों का चलाना भी मुश्किल हो गया है।

सवाई माधोपुरApr 08, 2017 / 04:37 pm

Abhishek ojha

गंगापुरसिटी. औद्योगिक क्षेत्र में पानी का मामला दो विभागों के बीच अटक गया है। जलदाय विभाग व रीको प्रशासन की अनदेखी के चलते यहां संचालित औद्योगिक इकाइयों को पानी नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि यहां न तो नई इकाइयों की स्थापना हो रही हैं और न ही पहले से संचालित फैक्ट्रियों का चलाना भी मुश्किल हो गया है। सरकारी तंत्र की अनदेखी का ही नतीजा है कि वर्षों से चली आ रही पानी का समस्या का समाधान नहीं होने से उद्यमी त्रस्त हैं। लम्बे समय से टोकसी तथा चम्बल परियोजना के माध्यम से पानी की व्यवस्था करने के दावे भी खोखले साबित हुए हैं। अब गर्मी शुरू होते ही उद्यमियों की समस्या बढ़ गई है। करीब डेढ़ वर्ष पहले 20 अक्टूबर 2015 को हुई जिला स्तरीय औद्योगिक सलाहकार समिति की बैठक में जिला कलक्टर ने जलदाय विभाग अधिकारियों को रीको क्षेत्र में पानी के लिए नए नलकूप खुदवाने के निर्देश दिए थे। बैठक में टोकसी से जलापूर्ति करने व चम्बल परियोजना से वैकल्पिक व्यवस्था की योजना पर भी चर्चा हुई थी। इसके बाद जिला कलक्टर ने जून 2016 तक टोकसी व चम्बल परियोजना से जलापूर्ति करने के निर्देश दिए, लेकिन पानी उपलब्ध नहीं हो सका।
नहीं हो रही जलापूर्ति

रीको में 1977 में उद्यमियों के लिए भूखण्ड आवंटित किए गए थे। इसके बाद 1980 में इसे पूर्ण विकसित औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया गया। शुरुआत में छाबा में दो नलकूप लगाकर तथा पाइप लाइन से रीको में बनाई गई टंकी तक आपूर्ति कर पानी के प्रबंध किए गए। जनवरी 2013 में नलकूप सूख जाने से जलापूर्ति बंद हो गई। इसके बाद से रीको क्षेत्र की टंकी सूखी पड़ी है। 
कागजों से बाहर नहीं आई योजनाएं

औद्योगिक क्षेत्र में पानी के लिए बनाई योजना कागजों में ही सिमटकर रह गईं। रीको ने मार्च 2016 में जलदाय विभाग को 2.01 करोड़ रुपए के प्रस्ताव बनाकर भेजे थे। इसमें टोकसी की चरागाह भूमि में तीन नलकूप खुदवाकर गंगापुरसिटी तक पाइप लाइन बिछाने का कार्य होना था। स्थिति यह है कि पानी के प्रबंध के लिए अब तक बजट ही स्वीकृत नहीं हो सका है।
उद्योग-धंधे हो रहे हैं प्रभावित

रीको में पानी की कमी से उद्योग-धंधे प्रभावित हो रहे हैं। स्थिति यह है कि यहां लगी 92 में से 46 इकाइयां बंद हैं। जिन उद्यमियों ने इकाई लगाई हुई है, उनको अपने स्तर पर पानी का प्रबंध करना महंगा साबित हो रहा है। पिछले चार साल से उद्यमी सभी जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक और विभागीय अधिकारियों से समस्या के समाधान की मांग कर चुके हैं। कई बैठकें भी हो चुकी हैं, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। 
मंगा रहे टैंकर

रीको क्षेत्र में यहां सात तेल मिल व पांच दाल मिल भी हैं। इनमें पानी की अधिक आवश्यकता होती है। उद्यमी फैक्ट्रियों को चलाने के लिए टैंकरों से पानी मंगवा रहे हैं। सीमेन्ट की इन्टरलॉक फैक्ट्रियां पानी के अभाव में बंद हैं। आटा मिल भी पानी की कमी से प्रभावित है। 
रीको की देरी

आरोप है कि समस्या के समाधान के लिए टोकसी से जलापूर्ति करने में रीको की ओर से देरी की जा रही है। रीको प्रशासन ने दो करोड़ रुपए के प्रस्ताव भेजे थे, जिसको दो महीने पहले जलदाय विभाग ने स्वीकृत कर दिया। अब रीको यह राशि जमा कराने में रुचि नहीं दिखा रहा है। 

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