केशव प्रसाद सिंह का अंतर्राष्ट्रीय खेल में हिस्सा लेने का सपना था। उनका यह सपना उनके रिटायरमेंट के बाद पूरा हुआ। केशव प्रसाद सिंह एक शिक्षक पद पर कार्यरत थे। केशव प्रसाद सिंह शुरू से ही खेलकूद में रुचि रखते हैं। 1975 में शिक्षक की नौकरी लगने के बाद भी उन्होंने खेलना नही छोड़ा ।
यह इससे पहले बीएचयू वाराणसी से भी पद चाल और भाला फेक खेल में भी शामिल हो चुके हैं। उनके घर पर उनके द्वारा जीते गए दर्जनों पदक और मेडल मौजूद है। खेल में उनके लगन और प्रतिभाग को देख लोगों ने उन्हें ‘मास्टर एशियन प्रतियोगिता’ में भाग लेने की सलाह दिए। जिसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत शुरू कर दी। वह इस प्रतियोगिता के लिए हर रोज वाराणसी के रामनगर से नरायनपुर के बीच पांच किलोमिटर तक पद चाल की तैयारी करते थे। केशव प्रसाद सिंह ने बताया कि फरवरी में नासिक में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता हुई थी । जिसमें ऊंची कूद में दूसरे स्थान पर आए थे। वहां इनका चयन सिंगापुर जाने के लिए हुआ। वहां से ये 40 सदस्यों की टीम के साथ सिंगापुर चले गए। टीम में महाराष्ट्र के 12 लोग थे। 7 जुलाई को पहले दिन ही केशव प्रसाद सिंह का तीनो प्रतियोगिता एक साथ था। जिसमें उन्होंने भारत के लिए पदक जीता। उन्होंने बताया कि जब अंतर्राष्ट्रीय खेल में हिस्सा लेने का मौका मिला तो मुझे बहुत खुशी हुई। मुझे मेरा सपना पूरा होते दिखने लगा था।
केशव प्रसाद सिंह ने इस जीत के बाद कहा कि अब जब तक शरीर साथ देगा मैं भारत के लिए पदक जीतता रहूंगा। गांव के लोग भी इनकी उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण पहले दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कहा कि अगर सहयोग रहा तो आगे और भी प्रतियोगिता में भाग लेकर भारत के लिए स्वर्ण पदक ले आउंगा। फिलहाल केशव प्रसाद ने जिस उम्र के पड़ाव में यह उपलब्धि हासिल की है वह सभी के लिए प्रेरणादायक है।