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राज्यपाल ने योगी और अखिलेश सरकार को दिए इतने-इतने अंक, फिर कही यह बड़ी बात ये नाम हैं दौड़ में शामिल इन्हीं उम्मीदों के बीच पश्चिम उप्र के भाजपा जनप्रतिनिधि लखनऊ से दिल्ली की दूरी नाप रहे हैं। इन विधायकों में सोमेन्द्र तोमर, ठाकुर संगीत सोम, सत्यवीर त्यागी के अलावा और भी कई प्रमुख नाम है। यह भी तय है कि योगी सरकार मंत्रिमंडल छोटा तो कर सकती है, लेकिन उसका विस्तार अधिक नहीं कर सकती। इसलिए जिन जनप्रतिनिधियों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा उनको पहले जाति, पोर्टफोलियो और क्षेत्रवाद के तराजू में भलीभांति तौलकर उसके बाद ही शपथ दिलाई जाएगी। पश्चिम से नए एमएलसी बने अशोक कटारिया को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। वह गुर्जर बिरादरी से हैं और भाजपा ने पश्चिम से अभी तक किसी गुर्जर बिरादरी को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी है। वहीं यूपी से मंत्रिमंडल में शामिल होने वाला दूसरा नाम सतपाल सिंह का है, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के जाट नेता का चेहरा हैं और चौधरी अजीत सिंह की जाट राजनीति को 2014 के चुनाव में फीका कर चुके हैं। सतपाल सिंह की छवि भी साफ-सुथरी पुलिस अफसर की रही है। भाजपा के थिंक टैंक का मानना है कि इससे जाटों की नाराजगी दूर करने में भी सतपाल सिंह अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
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EPFO: नर्इ नौकरी मिलने के बाद आपका पीएफ खाता जारी रहेगा, बस करना होगा यह काम इनका नाम भी है चर्चाआें में इसके बाद अगर कोई लोधी समाज की कमी को भी मंत्रिमंडल में पूरा करने के प्रयास होंगे। पहले पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह का नाम सामने आ रहा है। राजवीर सिंह के आने से उनके बेटे संदीप सिंह के यूपी सरकार में मंत्री बनने के बाद उम्मीद कम रह गई है। मेरठ से अगर किसी का नाम मंत्रिमंडल के लिए लिया जा सकता है तो वह हैं लक्ष्मीकांत वाजपेयी। वाजपेयी भाजपा के पुराने और कद्दावर नेताओं में जाने जाते हैं। लक्ष्मीकांत वाजपेयी अभी किसी सदन के सदस्य नहीं है। उन पर भी फैसला किया जा सकता है।
पश्चिम की निराशा क्या पूरी करेगी भाजपा योगी सरकार में पश्चिम से मेरठ मंडल के जिलों मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, गौतमबुद्घ नगर, गाजियाबाद और बागपत के जिलों में केवल गाजियाबाद के विधायक अतुल गर्ग को राज्यमंत्री बनाया गया था। जबकि बुलंदशहर की सभी सातों, गाजियाबाद की सभी पांच, हापुड़ की तीन में से दो सीट और गौतमबुद्घ नगर की सभी तीन, मेरठ में सात में छह और बागपत में चौधरी अजित सिंह का गढ़ होने के बावजूद तीन में से दो सीटें भाजपा के खाते में आई थीं। इतनी बड़ी जीत के बावजूद केवल गाजियाबाद से ही अतुल गर्ग मंत्री बने थे। वहीं, सहारनपुर मंडल में सहारनपुर में सात में से चार, शामली में तीन में से दो और मुजफ्फरनगर की सभी छह सीटें भाजपा के खाते में आई हैं। सहारनपुर की नकुड़ सीट से इमरान मसूद को हराकर विधायक बने धर्म सिंह सैनी और थानाभवन से सुरेश राणा को ही जगह मिल पाई थी। बिजनौर में आठ में से छह सीटों पर सफलता मिली थी। मेरठ से संगीत सोम का नाम आगे माना जा रहा था, तो मंत्री शाहिद मंजूर को हराने के कारण सत्यवीर त्यागी का भी दावा पुख्ता था। सोमेंद्र तोमर गुर्जर चेहरे हैं। मेरठ और आसपास के जिलों में कैबिनेट में केवल चेतन चौहान को जगह मिली थी जबकि अतुल गर्ग, सहारनपुर मंडल से सुरेश राणा और धर्म सिंह सैनी राज्यमंत्री बनाए गए थे।