राज्य में जितने भी लेखक साहित्य को नयी गति प्रदान कर रहे है उनके लिए भी और उनके प्रोत्साहन के लिए कुछ कार्य और योजना निकाली जाए। आज जो झारखण्ड के ट्राइबल लेखक और हिंदी साहित्य के लेखक अपनी लेखनी को पूरे विश्वस्तर पर ले जाना चाहते है उनको सहयोग की मांग की है। राज्य में हर क्षेत्र के लोगो को प्रोत्साहित किया जाता है लेकिन लेखन ही ऐसा क्षेत्र है जो इससे अछूता रह गया है। यहां प्रतिभाओं की कमी नहीं है, बस उन्हें मौका या कहे तो जो सहयोग मिलना चाहिए वो नहीं मिल रहा, जो संपन्न है उन्हें तो किसी भी आर्थिक सहायता की जरुरत नहीं है पर जो संपन्न नहीं है वो वंचित रह जाते है जिनमें प्रतिभा है, वो पीछे छूट जा रहे है। साहित्य के क्षेत्र में आज देश भर के कई युवा साहित्य के प्रति अपनी रुचि दिखा रहे हैं, कोई फिल्मों के जरिए अपनी कला को निखार रहा है तो कोई गीत एवं नृत्य के जरिए अपना और अपने समाज के लोगों का नाम रोशन कर रहा है। इसके अलावा लेखन के क्षेत्र में कई लेखकों ने भी अपने लेखनी के जरिए समाज को एक नई राह दिखाई है।
यह भी पढ़े : कैंसर रोगियों को मिलेगा मात्र 35 रुपये में सिकाई उपचार, शुरू हुई कोबाल्ट 60 थेरेपी इसके अलावा लेखकों को राज्य सरकार द्वारा उनके प्रोत्साहन तथा आर्थिक मदद के विषय पर भी कुछ करना चाहिए। जिससे उन्हें ऐसा अनुभव ना हो कि लेखन के क्षेत्र में कोई भविष्य नहीं, क्योंकि लेखन का क्षेत्र भी कला की गिनती में आता है और एक लेखक समाज के लिए दर्पण का काम करता है। बैठक में साहित्यकारों ने एक सुर में लेखक अंशुमन भगत के प्रयासों की तारीफ की और सभी ने ये निर्णय लिया कि सभी लेखक और सहित्यकार जो भी जिस प्रदेश से जुड़े हैं। उस प्रदेश के मुख्यमंत्री का पत्र लिखकर लेखकों के लिए प्रोत्साहन और सुविधाएं मुहैया कराने की मांग करेंगे।