दरअसल, मौजूदा वक्त में भाजपा जिस तरह वट वृक्ष की तरह फैलती जा रही है, ऐसे में भारत की राजनीति में गठबंधन महत्व और भी बढ़ जाता है। 2019 के चुनाव से पहले ही उत्तर प्रदेश में महागठबंधन की नीव रखने वाली बसपा प्रमुख मायावती ने अब देश में भी एक ऐसे संभावित महागठबंधन के लिए कोशिशें तेज कर दी है, जहां वे भाजपा और मोदी लहर की सुनामी को महागठबंधन के बांध से रोक सकें। कहा जाता है कि गठबंधन की राजनीति में दल तो मिल जाते हैं, पर दिल नहीं मिल पाते। लेकिन बसपा प्रमुख मायावती ने इस बात को गलत साबित करने की कोशिश में जुटी हैं।
माया ने अभय चैटाला को बांधी राखी
मायावती ने हरियाणा के इनेलो नेता अभय चैटाला को राखी बांधकर अपने राजनीतिक रिश्ते को और बेहतर बनाने का प्रयास किया है। अभय चैटाला बीते दिनों राजधानी दिल्ली में बसपा सुप्रीमों मायावती से मिलने पहुंचे थे। जहां उन्हें मायावती ने राखी बांधी थी। सूत्रों के अनुसार अभय चैटाला अपने बाबा चैधरी देवी लाल के नाम पर आयोजित होने वाले एक समारोह में शामिल होने के लिए मायावती को निमंत्रण देने पहुंचे थे। इसके बाद वह आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएंगे।
सियासी जानकारों की माने तो अभय और मायावती के मिल जाने से हरियाणा के सियासी हलकों में भूचाल आ जाएगा। दोनों नेताओं के इस रिश्ते से हरियाणा मेंभाजपा पर सबसे ज्यादा असर पडे़गा। इसीलिए जहां-जहां भी गठबन्धन की बात हो रही है। वहीं गठबंधन में शामिल होने वाली पार्टियां भाजपा को वहां से साफ होने की सम्भावनाएं व्यक्त कर रही है।
हरियाणा के दलितों और ब्राहमणों को साधने की कोशिश
बसपा दलित वोट बैंक के सहारे हरियाणा में आती-जाती रही है। इसके लिए वह पिछले चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग के यूपी फार्मूले को भी अपना चुकी है। दलित और ब्राह्मण गठजोड़ कर बसपा हरियाणा में नया सियासी इतिहास रचने की चाह में काफी समय से छटपटा रही है। 2014 में हुए आम चुनाव के मुताबिक वहां दलित वोट करीब 21 फीसदी है। अम्बाला-सिरसा लोकसभा सीटें दलित बाहुल्य हैं। इस चुनाव में हालांकि, बसपा को कोई सीट नहीं मिली थी, फिर भी उसके खाते में 4.6 फीसदी वोट आया था। अभय चैटाला के रूप में उन्हें हरियाणा में एक राजनीतिक अवसर प्राप्त हुआ है।
मायावती की ओर से हरियाणा के नेता अभय चौटाला को राखी बांधने पर भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी तिलमिलाए नजर आए। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि मायावती अवसरवादी नेता हैं। वह अपने राजनैतिक लाभ के लिए किसी को भी भाई बना लेती हैं। जिस भाजपा को उन्होंने अपना भाई माना, जिसने उन्हें गेस्टहाउस से जिंदा निकलवाया, उसी भाजपा के खिलाफ वे आज अवरवादी दलों को एकत्र कर रही हैं। इनेलो नेता को राखी बांधना भी उनका राजनैतिक ढोंग है।