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कारगिल विजय दिवस 2018: जानिए, लांस नायक सतपाल सिंह के परिवार का हाल, जिसकी जांबाजी ने कारगिल में दिलायी थी जीत 13 जून 1999 को हुए थे शहीद 1999 में सेकेंड राजपूताना राइफल्स के हवलदार यशवीर सिंह ग्वालियर में तैनात थे। इसके बाद उनकी पोस्टिंग जम्मू के लिए हो गर्इ थी। पोस्टिंग होने के कुछ दिन बाद ही कारगिल में युद्ध के हालात पैदा हो गए थे। इसलिए उनकी बटालियन को कारगिल में ताेलोलिंग जाने के आदेश हुए। यहां हवलदार यशवीर सिंह ने अपनी बटालियन के साथ दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। उन्होंने दुश्मनों के तीन बंकरों को नष्ट करने के साथ 50 से ज्यादा दुश्मन सैनिको को मार गिराया था। तोलोलिंग की बमबारी में हवलदार यशवीर सिंह शहीद हो गए। वीर नारी मुनेश ने बताया कि उस समय उनका बड़ा बेटा 12 साल आैर छोटा बेटा नौ साल का था। जब पति का शव यहां पहुंचा, तो वह कर्इ दिनाें तक बेहोशी में ही रही थी। पति के शहीद होने के बाद काफी लोग आए आैर बड़ी-बड़ी बातें की, लेकिन मैंने अपने परिवार को किस तरह पाला, मैं ही जानती हूं। सरकार ने पेट्रोल पंप दिलाने में काफी समय लगाया, तो कंपनी की आेर से खतरा रहता है कि वह कब वापस ले ले। शुरू में पेंशन भी पूरी नहीं मिली। उन्होंने सवाल किया कि क्या देश के लिए शहीद होने के बाद उसके परिवार को यही सम्मान मिलता है।