दरअसल 6 साल की समृध्दि अपनी मां दीपा चतुर्वेदी के साथ अपने नाना के यहां रहती है। साल 2010 में शादी के बाद दीपा को उसके पति सुमित चतुर्वेदी ने छोड़ दिया और बच्ची को लेकर वे अपने पिता के यहां रह रही हैं। हर बच्चा चाहता है कि वह अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़े और उसे सारी सुख-सुविधाएं मिले लेकिन पैसों के अभाव में समृद्धि को महंगा स्कूल छोड़ना पड़ा।
मंगलवार को मासूम समृद्धि ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में सेना के अधिकारी के सामने अपने स्तर से चंदा कर इकट्ठा किए 12 हज़ार 730 रुपये शहीद जवानों के परिजनों की आर्थिक मदद के लिए प्रधानमंत्री राहत कोश में जमा कराए। इस बारे में जब हमने समृद्धि से बात की तो उसने बताया कि जो जवान शहीद हुए हैं मैं उनकी मदद करना चाहती हूं। जब उससे पूछा गया कि की इतनी छोटी उम्र में वो ये सब कैसे करेंगी तो बोली कि घर-घर जाकर और आप सबसे डोनेशन लूंगी और इकट्ठा कर उसे डीएम के पास जमा करा दूंगी। इसके लिए उसे किसने प्रेरणा दी इस सवाल पर मासूमियत से जवाब देते हुए बोली कि हम सब भारतीय हैं और जब पुलवामा अटैक हुआ तो मैंने सोचा कि मदद करनी चाहिए। उसने बताया कि अपनी गुल्लक उसने अपनी मां को दी थी लेकिन कम पैसे होने की बात जब मां ने कही तो उसने शहीदों के परिजनों के लिए आर्थिक मदद के लिए डोनेशन इकट्ठा करने का मन बनाया। समृद्धि का कहना है कि उसने अब तक करीब 200 लोगों से डोनेशन इकट्ठा किया है और बाकायदा इसके लिए एक रजिस्टर भी मैंटेन किया है जिसमें डोनेशन देने वाले का नाम, पता, फोन नंबर और रकम का ब्यौरा खुद ही दर्ज किया है।