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ट्रेड वॉर की वजह से उबर के शेयरों में बिकवाली
इस प्रकार अब उबर के उन निवेशकों पर दबाव बढ़ गया है, जिन्होंने 45 डॉलर प्रति शेयर के आधार पर कंपनी की आईपीओ खरीदी थी। सऊदी अरब की सॉवरेन वेल्थ फंड ( Sovereign Wealth Fund ) ने भी 45 डॉलर प्रति शेयर से अधिक की दर पर आईपीओ खरीदा था। जानकारों का मानना है कि उबर के शेयरों में बिकवाली इसलिए देखने को मिली, क्योंकि अमरीका ने चीन पर आयात शुल्क को 10 फीसदी से 25 फीसदी बढ़ाते हुए कुल 200 अरब डॉलर का टैरिफ लगाया है। हालांकि, निवेशक उबर की प्रतिद्वंदी कंपनी लिफ्ट इंक ( Lyft Inc. ) के खराब आईपीओ के बाद कुछ खास उत्साह में नहीं थे। अप्रैल माह से अब तक लिफ्ट इंक के शेयरों में 35 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।
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FAANG लिस्ट में शामिल हुई उबर
शेयर बाजार के मामलों से जुड़े एक जानकार का मानना है कि पहले दिन की ट्रेडिंग किसी कंपनी की किस्मत तय नहीं करती है। सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। इसके पहले अमेजन, एप्पल, नेटफ्लिक्स और गूगल के साथ भी ऐसा हो चुका है। वेल्थ मैनेजर्स के एक ग्रुप को लेकर मॉर्गन स्टेनली ( morgan stanley ) ने माना कि अब उबर भी उन कंपनियों की लिस्ट में शामिल हो गई है जिसे FAANG कहा जाता है। उबर अब के साथ इस लिस्ट में शामिल हो चुकी है। U का मतलब Uber, F का मतलब Facebook , A का मतलब Amazon , A का मतलब Apple , N का मतलब Netflix और G का मतलब google है। इस प्रकार FAANG अब UFAANG बन चुका है। कंपनी के चीफ एग्जीक्युटीव अधिकारी डारा खोस्रोवाशाही ने कहा, कंपनी अभी भी सबसे पॉपुलर टेक स्टॉक बन सकती है। उन्होंने कहा कि अमरीका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव की वजह से स्टॉक्स ने खराब प्रदर्शन किया।
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निवेशकों के लिए बढ़ी चिंता
शुक्रवार को दिनभर के कारोबार के बाद कंपनी के शेयर्स 41.57 डॉलर प्रति शेयर की दर पर बंद हुए। लिस्टिंग का पहला दिन किसी भी स्टॅाक की किस्तम तो तय नहीं करती, लेकिन उबर की यह खराब शुरुआत निवेशकों के लिए जरूर चिंता बनी हुई है। कई वेंचर कैपिटलिस्ट ने उबर में अरबों रुपए का निवेश किया था, जिन्हें अब उबर की बाजार पूंजीकरण घटकर 69.7 अरब डॉलर होने के बाद निराशा हाथ लगी है। उबर की इस खराब लिस्टिंग के बाद इस दशक में टेक लिस्टिंग पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं। शुक्रवार को ही उबर की प्रतिद्वंदी कंपनी लिफ्ट इंक के शेयर्स भी 7.5 फीसदी लुढ़ककर 21 डॉलर प्रति शेयर के स्तर पर बंद हुए।
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इन दो कारणों से लुढ़के उबर के शेयर्स
मॉर्गन स्टेनली ने उबर के शेयरों के खराब प्रदर्शन के पीछे इन दो वजहों को बताया।
1. कॉस्ट ऑफ रिवेन्यू: कई निवेशक कंपनी की बुकिंग फीस से जुड़े कॉस्ट में बढ़ोतरी से चिंता में हैं। इनकम स्टेटमेंट में कंपनी की कॉस्ट ऑफ रिवेन्यू काफी अधिक है। कंपनी के ऊपर यह सबसे अधिक खर्च है। परेशानी की बात यह है कि इस खर्च को कम करना कंपनी के लिए मुश्किल होगा, क्योंकि सेल्स बढऩे के बाद कंट्रैक्टर्स को अधिक फीस देना होगा। ड्राइवर्स की संख्या बढऩे के बाद कंट्रैक्टर्स अधिक फीस की मांग करेंगे।
2. लंबी अवधि में बढ़ता कर्ज: मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि लंबी अवधि के लिए कंपनी पर कर्ज बढ़त जा रहा है। साल 2015 में कंपनी पर जो कर्ज 1.423 अरब डॉलर का था, वो अब बढ़कर साल 2018 में 6.869 अरब डॉलर का हो गया है। इस प्रकार बीते 4 सालों में कंपनी पर लंबी अवधि का कर्ज 5.446 अरब डॉलर बढ़ गया है। एक बार जब आईपीओ से जमा हुई पूंजी खत्म हो जाएगी तो कंपनी को और अधिक कर्ज की जरूरत होगी।
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