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एजीआर की 92 हजार करोड़ की बढ़ गई थी देनदारी
बीता कुछ समय टेलीकॉम कंपनियों के अच्छा नहीं रहा है। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एजीआर विवाद का रिजल्ट भी सरकार के पक्ष में आ गया था। इस फैसले के बाद कंपनियों पर जुलाई 2019 तक लाइसेंस फीस, पेनाल्टी और इंटरेस्ट के रूप में 92,642 करोड़ की देनदारी और ज्यादा बढ़ गईं। इसेके अलावा एसयूसी की वजह से कंपनियों पर अक्टूबर महीने तक 55,054 करोड़ का और बोझ बढ़ गया था।
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टेलीकॉम कंपनियों ने की थी राहत की अपील
भारी भरकम कर्ज का बोझ सबसे ज्यादा भारती एयरटेल और वोडाफोन आईडिया पर पड़ा था। वोडाफोन ने तो भारत से अपना कारोबार समेटने के संकेत भी दे दिए थे। इसलिए दोनों कंपनियों ने सरकार से पेनल्टी और ब्याज माफ करने और मूल कर्ज चुकाने की समय सीमा में बढ़ोतरी की मांग की थी। कंपनियों ने शुरुआती दो सानों तक भुगतान की छूट भी मांगी थी। एयरटेल के कुल कर्ज में जुर्माना और ब्याज का रुपया 75 फीसदी है। आपको बता दें कि सितंबर के तिमाही नतीजों में कंपनियों को रिकॉर्ड कुल 74 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ।
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7 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज
टेलीकॉम सेक्टर पर 7.88 लाख करोड़ रुपए का भारी भरकम कर्ज है और यह 31 अगस्त 2017 के आंकड़ों के अनुसार है। दूरसंचार मंत्री इसमें से भारतीय कर्ज कुल 1.77 लाख करोड़ रुपए, विदेशी कर्ज 83,918 करोड़ रुपए और कुल बैंक/एफआई कर्ज 2.61 लाख करोड़ रुपए है। बैंक गारंटी 50,000 करोड़ रुपए है। दूरसंचार विभाग की डेफर्ड स्पेक्ट्रम लायबिलिटीज 2.95 लाख करोड़ रुपए है। अन्य तीसरे पक्ष की देनदारियां 1.80 लाख करोड़ रुपए हैं। इस तरह से कुल देनदारियां 7.88 लाख करोड़ रुपए की है।