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नियम को बनाया सरल
अब तक सिर्फ उन्हीं कंपनियों को पेट्रोल और डीजल बेचने की अनुमति दी जिनका हाइड्रोकार्बन के कारोबार का अनुभव है और भारत के तेल व गैस क्षेत्र में उनका 2,000 करोड़ रुपए का निवेश है। मगर इस बाधा को दूर करते हुए सरकार ने इस क्षेत्र में आने वाली निजी कंपनियों के लिए मार्ग सरल बना दिया है। अब 250 करोड़ रुपए का कारोबार करने वाली कंपनियों को भी तेल बेचने का अधिकार मिलेगा।
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17 सालों से नहीं हुआ था नियमों का बदलाव
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि परिवहन ईंधनों के विपणन के लिए अधिकृत करने के लिए मौजूदा नीति में 2002 से लेकर पिछले 17 वर्षों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। बयान के अनुसार, बाजार के बदलते परिदृश्य और इस क्षेत्र से जुड़ी विदेशी कंपनियों सहित निजी कंपनियों से निवेश को बढ़ावा देने की दृष्टि से इसे अब संशोधित किया गया है। नई नीति से परिवहन नीति से जुड़े दिशानिर्देशों के जरिये ‘कारोबारी सुगमता’ को बल मिलेगा।
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न्यूनतम 5 फीसदी केंद्र स्थापित करना जरूरी
इससे इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार को बढ़ावा मिलेगा और अधिक संख्या में खुदरा बिक्री केन्द्र स्थापित होने से उपभोक्ताओं को बेहतर प्रतिस्पर्धा तथा बेहतर सेवाएं उपलब्ध होंगी। बयान के अनुसार, अधिकृत कंपनियों के लिए अधिकार प्राप्ति के पांच वर्ष के भीतर अधिसूचित दूरस्थ क्षेत्रों में कुल खुदरा बिक्री केंद्रों का न्यूनतम 5 फीसदी केंद्र स्थापित करना जरूरी होगा। इस बाध्यता की निगरानी के लिए कारगर निगरानी प्रणाली स्थापित की गई है।