गेहूं और चावल का पर्याप्त स्टॉक…लेकिन बफर स्टॉक बढ़ाने से बढ़ेंगी कीमतें
दाम नहीं मिलने से किसान हुए निराश
अग्रवाल ने बताया कि पिछले साल किसानों को हल्दी के दाम बहुत ज्यादा दाम नहीं मिले। सरकार दलहन व तिलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में अच्छा खासा इजाफा किया, लेकिन हल्दी के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। लिहाजा, किसानों की हल्दी की खेती में पहले जितनी दिलचस्पी नहीं दिखाई। यह भी हल्दी की बुवाई कम होने की एक वजह है। बुवाई घटने की संभावना से हल्दी के दाम बीते 10 दिनों में 20 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 9700 रुपए क्विंटल को पार कर चुके हैं। खुदरा बाजार में वर्तमान में हल्दी के दाम 280 से 300 रुपए प्रति किलो के बीच चल रहे है।
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दामों में बनी रहेगी तेजी
अग्रवाल ने कहा कि हल्दी की निर्यात मांग मजबूत बनी हुई। पिछले साल हल्दी का निर्यात 11 फीसदी बढ़कर करीब 1.70 लाख टन हुआ था। इस साल अभी तक 4 फीसदी हल्दी निर्यात हुई। कारोबारी 80 फीसदी से ज्यादा स्टॉक निकाल चुके हैं। इस बीच कम बुवाई और मजबूत मांग से आगे हल्दी की कीमतों में और तेजी देखी जा सकती है।