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पढ़ाई-लिखाई नहीं, स्पोर्ट्स में बनाएं कॅरियर, धोनी-कोहली की तरह बनेंगे करोड़पति

प्रवेश के लिए आवेदक की आयु सीमा 14 से 25 वर्ष होनी चाहिए।

Jun 03, 2019 / 01:40 pm

Deovrat Singh

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देश के टॉप विश्वविद्यालय/ संस्था से शिक्षा पूरी करने के बाद भी यह सुनिश्चित नहीं है की अच्छा रोजगार या नौकरी मिल पाएगी। देश में बढ़ती जनसंख्या और आधुनिक तकनीक के चलते बेरोजगारी दिनों दिन बढ़ती जा रही है। अभिभावक बच्चों को रूचि के अनुरूप और जबरदस्ती दोनों ही तरीके से पढाई के लिए दबाव बनाते हैं। जिन बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि कम होकर खेल के प्रति लगाव ज्यादा है तो अभिभावक को जागरुक होना चाहिए। बच्चे की जिस खेल के प्रति रुचि है उसमें निखार लाने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए।

स्कूल में होने वाली सभी स्तर की प्रतियोगिता में पार्टिसिपेट करवाने के साथ ही जाँच परख कर, बच्चे को खेल अकादमी या स्टेडियम ज्वाइन करवाना चाहिए। खेल के लिए घर पर भी प्रैक्टिस के लिए पर्याप्त सुविधाएं हो तो बेहतर खेल में निखार आ सकता है। देश में क्रिकेट के अतिरिक्त बहुत से खेल है जहां कॉम्पिटिशन बहुत कम है। 2016 ओलिंपिक की बात करें तो कुल 306 खेल इवेंट में भारत की तरफ से 120 खिलाडियों ने हिस्सा लिया। जिनमें सिर्फ दो मेडल (कांस्य और रजत) ही लाए जा सके। कुछ गेम तो ऐसे भी है जिसमें भारत की ओर से प्रतिनिधित्व नहीं किया गया।

ऐसे पहचानें
बच्चे की पढाई के प्रति रुचि कम और खेल के प्रति रुचि अधिक हो तो खेल की पहचान करनी चाहिए। गेम वही हो जो ओलिंपिक स्तर पर खेला जाता हो, इसके लिए बच्चे की रुचि के अनुसार उस गेम से जोड़ें। हफ्ते में कुछ दिन बच्चे के साथ गुजारे और देखें की उम्र के अनुसार बच्चा गेम में कितना प्रभावी है। उम्र के अनुसार स्कूल या ओपन से होने वाली प्रतियोगिता में हिस्सा दिलवाएं। प्रतियोगिता में किए गए प्रदर्शन का आंकलन अच्छे कोच से करवाएं।

प्रशिक्षण
एक अच्छा खिलाडी बचपन से होता है। संबंधित खेल को जीवन में अलग से भी जोड़ा जा सकता है। खेल की शुरुआत घर से होती है और निखार स्कूल में आना शुरू होता है। स्कूल में खेल के लिए जो समय दिया जाता है उसमें बच्चे को शारीरिक शिक्षक कितना सीखा सकता है और बच्चा कितना सिख सकता है। विद्यालयों में होने वाली ब्लॉक, डिस्ट्रिक्ट और अपर लेवल की प्रतियोगिता के लिए पीटीआई/ कोच द्वारा दिए गए प्रशिक्षण पश्चात खिलाडी को बेहतर प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। खेल की बारीकियां और तकनीक सिखने के लिए खेल से संबंधित अकादमी/ संस्था या कोई स्टेडियम ज्वाइन करना होता है। कॉलेज/ यूनिवर्सिटी लेवल की प्रतियोगिता में विजेता या श्रेष्ठ प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कार और प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। अकादमी और स्टेडियम में सालाना होने वाली ओपन प्रतियोगिता के लिए तैयारी करवाई जाती है और प्रतियोगिता के जरिए ही सर्वश्रेष्ठ खिलाडी चुने जाते हैं। प्रतियोगिता आयोजन के बाद भी खिलाडी को अभ्यास और खेल की बारीकियां सिखने के साथ खुद कमियां कोच के द्वारा दूर करवानी चाहिए। सभी खेलों के संघ अलग- अलग है। अकादमी और कोच भी खेल के अनुसार तय किए जाते हैं।

करियर
खिलाडी के पास देश का प्रतिनिधित्व करने का सुनहरा अवसर मिलता है जहां नाम के साथ पैसा भी मिलता है। ओलिंपिक जैसे खेल में विजेता के साथ देश का नाम रोशन होता है। प्रत्येक खिलाडी का सरकारी विभागों में कोटा होता है। जितनी भी सरकारी नौकरियां निकलती है उनमें खेल कोटा के अंतर्गत प्रतिशत तय होता है। राज्य और केंद्र सरकार भी पारितोषक के तौर पर नौकरी देती है। बड़ी गैर सरकारी कंपनी/संस्थाएं भी बेहतरीन खिलाडी ब्रांड एम्बेसेडर तक नियुक्त करती है। राज्य स्तर पर विजेता खिलाडी या राष्ट्रिय स्तर पर टॉप पोजीशन वाले खिलाडी खेल कोटे की भर्तियों में शामिल हो सकते हैं। राष्ट्रमंडल, एशियाड और ओलिंपिक जैसे खेल आयोजनों में मैडल विजेता खिलाडियों का केंद्र और राज्य सरकार भी अच्छे पारितोषक के साथ सम्मान करती है।

बेहतरीन अवसर
आगे बढ़ने के लिए व्यक्ति उसी को चुनता है जो सबसे पहले और आसानी से मिले। खेल में भी अगर चुनाव अपनी पसंद और काबिलियत के अनुसार चुनाव किया जाय तो अच्छा रहेगा। इंडिविजुअल गेम्स खिलाडियों की पसंद होती है जहाँ खुद के अच्छे और बुरे प्रदर्शन का जिम्मेदार खिलाडी खुद होता है। ग्रामीण परिवेश के युवा एथेलेटिक्स, वेटलिफ्टिंग, बॉक्सिंग, जुडो, कुश्ती, जैसे खेल को चुन सकते हैं जहाँ उन्हें वातावरण और खान-पान जैसी सभी सुविधाएँ अच्छे से मिल जाती है और खर्चा ज्यादा नहीं होता। आर्थिक स्थिति से मजबूत युवा शूटिंग, स्वीमिंग, वाटर पोलो, डाइविंग, रोइंग, और अन्य टीम वाले खेल चुन सकते हैं। बहुत से खेल ऐसे हैं जिनमे अपना देश का प्रतिनिधित्व नहीं होता।

खेल प्रशिक्षण अकादमी
साइकिलिंग, स्विमिंग, एथलेटिक्स (स्प्रिंट & जम्प), एथलेटिक्स (मिडिल डिस्टेंस), गोल्फ, एथलेटिक्स (थ्रो), बॉक्सिंग, रेसलिंग, आर्चरी, शूटिंग, फुटबॉल, हॉकी, वॉलीबॉल इत्यादि के लिए देश में राष्ट्रिय खेल अकादमियां शुरू की गई है। देश भर से युवा इन अकादमियों में प्रवेश लेकर अपनी खेल प्रतिभा को निखार सकते हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व कर कामयाबी हासिल की जा सकती है। सभी राज्यों में राज्य स्तर पर स्टेडियम और अकादमी भी होती है जहाँ प्रशिक्षण अच्छे प्रशिक्षकों के द्वारा दिया जाता है। देश भर में निजी अकादमी का चलन भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। नीचे कुछ राष्ट्रीय खेल अकादमी की लिस्ट दी गई है जहाँ प्रशिक्षण के लिए खिलाडी प्रवेश ले सकते हैं।

चयन प्रक्रिया
इस अकादमियों में प्रवेश के लिए इच्छुक आवेदक की आयु 14 से 25 वर्ष तक होनी चाहिए। इसके साथ ही उसका शारीरिक रूप से फिट होना भी अनिवार्य है। आयु सीमा को लेकर दी गई जानकारी के लिए चिकित्स्कीय जांच के साथ शारीरिक दक्षता परीक्षा ली जाती है। सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर लेवल की प्रतियोगिता में प्रदर्शन के आधार पर चयन होता है। अकादमी में प्रशिक्षक छात्रों का खेल देख कर उन्हें उनके अनुकूल खेल के क्षेत्र में जाने की सलाह देते हैं।

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