उच्च न्यायालय में 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव विचाराधीन है। योगी सरकार ने 24 जून को शासनादेश जारी किया था। इसमें यह बात कही गई थी कि उच्च न्यायालय द्वारा 29 मार्च, 2017 को जारी आदेश के अनुपालन में परीक्षणोपरांत सुसंगत अभिलेखों के आधार पर इन 17 जातियों के जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। मामला कोर्ट में है, लिहाजा जाति प्रमाण पत्र न्यायालय के आदेश के अधीन होंगे, इस बात की बाध्यता इसमें थी। मंगलवार को इसी शासनादेश पर बसपा सांसद सतीशचंद्र मिश्र ने संसद में सवाल उठाया। वहीं केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता मंत्री थावरचंद गहलोत ने शासनादेश वापस लेने का निर्देश दिया। लेकिन प्रमाणपत्र बनने न बनने की असंमजस स्थिति बरकरार रही। प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह ने बताया कि शासनादेश न्यायालय के आदेश के अधीन जारी किया गया है। इसलिए इस आधार पर जाति प्रमाणपत्र बनेंगे।
आरक्षण बढ़ाने की मांग कांग्रेस (Congress) अनुसूचित जाति विभाग ने प्रदेश सरकार के 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के फैसले का स्वागत किया है। हालांकि, उन्होंने अनुसूचित जातियों के आरक्षण कोटा को 21 से बढ़ाकर 40 फीसद करने की मांग की। अगर प्रदेश सरकार ऐसा नहीं करती है, तो कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग, भीम आर्मी व तमाम गैर सरकारी संगठन मिलकर पूरे प्रदेश में सरकार के इस निर्णस के खिलाफ धरना प्रदर्शन करेंगे।
कांग्रेस की ही तरह संघर्ष समिति ने भी इन 17 जातियों का आरक्षण बढ़ाने की मांग की। उनका तर्क है कि 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से दलित समाज का हक मारा जाएगा। इसलिए अनुसूचित जाति के आरक्षण का कोटा 35 फीसदी तक कर दिया जाना चाहिए।
राजभर ने जताया विरोध 17 जातियों को अनूसुचित जाति में शामिल करने के फैसले को सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने गुमराह करना बताया है। उनका कहना है कि इन जातियों को जातिप्रमाण पत्र देकर सरकार इन्हें मूर्ख बना रही है। सरकार यह स्पष्ट करे कि इन जातियों को एससी कोटे या पिछड़ी जाति में नौकरी मिलेगी, ताकि भर्तियों में भ्रम न रहे।
ये भी पढ़ें: 17 अति पिछड़ी जातियों को मिलेगा यह फायदा, राजभर ने कहा वाहवाही लूटने का काम कर रही योगी सरकार इन जातियों को शामिल करने का निर्देश कश्यप, राजभर, धीवर, बिंद, कुम्हार, कहार, केवट, निषाद, भार, मल्लाह, प्रजापति, धीमर, बठाम, तुरहा, गोड़िया, मांझी और मचुआ को अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी करना का निर्देश है।