कानपुर में गंगा किनारे खुले में हो रहा अंतिम संस्कार, बढ़ा संक्रमण का खतरा
विदेशों से आती है ज्यादा कॉल
वर्षा का कहना है कि कोविड काल में अधिकतर कॉल विदेेशाों से आती है। ऐसे लोग जिनके बूढ़े मां-बाप लखनऊ में रह रहे थे और उनकी आकस्मिक मौत हो गयी उनके अंतिम संस्कार करने का अनुरोध किया जाता है। इसी के साथ राजधानी में तमाम ऐसे परिवार भी हैं जिनका पूरा परिवार संक्रमित है और अस्पताल में भर्ती उन परिवारों से भी फोन आता है। कई बार अस्पताल भी खुद फोन कर लावारिश लाशों की जानकारी देते हैं। मुफ्त शव वाहन सेवा “एक कोशिश ऐसी भी” के साथ कुछ लोग भी जुड़ गए हैं। वे भी आर्थिक रूप से मदद कर रहे हैं। लेकिन वर्षा का कहना है भौतिक रूप से मदद करने वाले अब भी नहीं हैं। वर्षा बताती हैं वह कई बार खुद ही मुखाग्नि देती हैं।
उत्तर प्रदेश में हर दिन मृतकों की संख्या में हो रहा है इजाफा
बॉडी को कोई हाथ लगाने नहीं आता
वह बताती हैं कि कोविड के नए वायरस का खौफ इतना है कि संक्रमण फैलने के डर से तमाम ऐसे लोग भी हैं जो अपने संक्रमित परिजनों की मौत पर घर से निकलना नहीं चाहते। वह अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचते। कई बार तो परिवार वाले मृतकों के शव नहीं उठाते। बुरा तब लगता है जब पूरा परिवार बाहर खड़े होकर वीडियो बनाता रहता है, लेकिन पीपीई किट में रखी बॉडी को हाथ तक नहीं लगाने आता है।
वर्षा अपनी पहचान सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में बताती हैं। वह लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी देती हैं और जूडो भी सिखाती हैं। अभी उन्होंने श्मशान घाट पर नि:शुल्क पानी सेवा भी शुरू की है।