पांच हजार का इनाम :- आज के उत्तराखंड के पौड़ी जिले के बुधाणी गांव में हेमवती नंदन का जन्म 25 अप्रैल, 1919 को हुआ था। पढ़ाई के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी आए। जहां छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए। भारत छोड़ो आंदोलन में हेमवती के विरोध से ब्रितानियां सरकार इतनी परेशान हो गई थी कि उसने हेमवती को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 5 हजार का इनाम रखा था।
तरक्की की सीढ़ियां तेजी से चढ़ी :- छात्र राजनीति के वक्त हेमवती, लाल बहादुर शास्त्री के सम्पर्क में आए। कांग्रेस ज्वाइन किया और मेहनत के बल पर लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ने लगे। यूपी कांग्रेस कमिटी के लगातार सदस्य रहे। पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी चुने गए। श्रम व उद्योग विभाग के उपमंत्री बने। फिर 1963 से 1969 तक यूपी कांग्रेस महासचिव के पद पर रहे। अखिल भारतीय कांग्रेस महामंत्री भी बनें। यूपी में हेमवती को इग्नोर करना कांग्रेस के लिए आसान नहीं था।
बहुगुणा की किस्मत तेज थी :- वर्ष 1969 में कांग्रेस दो हिस्सों में टूट गई। पर कमलापति त्रिपाठी और हेमवती नंदन बहुगुणा इंदिरा गांधी के साथ बने रहे। इस वक्त बहुगुणा का भाग्य तेज गति से काम कर रहा था। उस वक्त के यूपी सीएम त्रिभुवन नारायण सिंह सीएम रहते हुए उपचुनाव हार गए थे। कमलापति त्रिपाठी को यूपी का मुख्यमंत्री बनाया गया। पर पीएसी विद्रोह और भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें भी पद छोड़ना पड़ा। अब एक नए चेहरे की तलाश शुरू हुई।
1973 में पहली बार सीएम बने :- हेमवती नंदन 1971 में पहली बार सांसद बने थे। इंदिरा जी को उस वक्त यूपी सीएम की तलाश थी फिर क्या था कमलापति त्रिपाठी की सहमति से हेमवती को उत्तर प्रदेश का सीएम बनाए गए। बहुगुणा पहली बार 8 नवम्बर, 1973 से 4 मार्च, 1974 तथा दूसरी बार 5 मार्च, 1974 से 29 नवम्बर, 1975 तक यूपी के सीएम थे।
Political Kisse : ऐसा मुख्यमंत्री जिसके दांव से BJP को उबरने में लगे 14 साल, गुरु को ही दिखाया पहला दांव अमिताभ बच्चन से हार गए :- वर्ष 1984 में इलाहाबाद लोकसभा सीट पर पूरे देश की निगाह लगी हुई थी। क्योंकि इस चुनाव में बहुगुणा के सामने उस वक्त के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन थे। दिग्गज पालिटिशन को सुपर स्टार ने 1 लाख 87 हजार वोट से हरा दिया। बहुगुणा ने इसकी कभी कल्पना तक नहीं की थी, बड़ा धक्का लगा। कांग्रेस छोड़कर लोकदल में आये थे। इस हार के बाद बहुगुणा ने राजनीति से संन्यास ले लिया। पर कांग्रेस से उनका दिल खट्टा हो गया था। 17 मार्च 1989 को हेमवती नंदन बहुगुणा दुनिया को अलविदा कह दिया।
निजी जीवन का ब्योरा :- हेमवती नंदन बहुगुणा की दूसरी पत्नी कमला बहुगुणा से उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। पहले बेटे विजय बहुगुणा उत्तराखंड के सीएम रह चुके हैं। बेटी रीता बहुगुणा जोशी अब भाजपा में आ गई हैं।