scriptसंत परंपरा की धरोहर की रक्षा करना हम सभी का धर्म : धनंजय देसाई | National President of Hindu Rashtra Sena Dhananjay Desai Press | Patrika News
लखनऊ

संत परंपरा की धरोहर की रक्षा करना हम सभी का धर्म : धनंजय देसाई

षडयंत्रकारियों व धर्मांतरण करने वालों के द्वारा ही हिन्दुओं के मन में अपनी संस्कृति के प्रति प्रश्न चिन्ह खड़े करने के लिए आशाराम बापू जैसे महापुरुषों के चरित्र हनन के प्रयास किये जा रहे हैं।

लखनऊJan 13, 2022 / 08:08 am

Ritesh Singh

संत परंपरा की धरोहर की रक्षा करना हम सभी का धर्म : धनंजय देसाई

संत परंपरा की धरोहर की रक्षा करना हम सभी का धर्म : धनंजय देसाई

लखनऊ। भारतीय संस्कृति की रक्षा करने वाले साधु संतों के खिलाफ हो रही साजिशों को रोकने के संबंध में एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। इस प्रेसवार्ता में भारतीय सनातन संस्कृति व हिंदुत्व के मुद्दे पर प्रखर बोलने वाले हिंदू राष्ट्र सेना के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष ***** धनंजय देसाई” ने कहा कि हिंदू संतों पर लगातार हमले हो रहे हैं। मैं पक्का धार्मिक हूं। संतों का सम्मान, उनके चरणों की पूजा, संत परंपरा की धरोहर की रक्षा करना यह मेरे कुलाचार में आता है। सनातन धर्म मेरे कुल की मर्यादा में है। उस सनातन धर्म के साधुओं का सम्मान किए बगैर मैं हिंदू हो ही नहीं सकता।
उस सनातन धर्म के महापुरुषों का अपमान व उनके साथ अन्याय हो रहा है। उनको बलात्कार जैसे झूठे मामलों में फसाया जा रहा है। धनंजय देसाई ने संत आशाराम बापू को भारतीय सनातन धर्म की रक्षा प्रणाली की उपमा दी है। आशाराम बापू जैसे योगी महापुरुषों के चरित्र पर लांछन लगाकर आशाराम बापू को संकट में नहीं लाया गया है बल्कि भारतीय संस्कृति, भारतीय जीवन पद्धति, सनातन धर्म को संकट में लाया गया है। षडयंत्रकारियों व धर्मांतरण करने वालों के द्वारा ही हिन्दुओं के मन में अपनी संस्कृति के प्रति प्रश्न चिन्ह खड़े करने के लिए आशाराम बापू जैसे महापुरुषों के चरित्र हनन के प्रयास किये जा रहे हैं।

इंटरव्यू के अंत में धनंजय देसाई आह्वान करते हुए कहा कि मैं सभी भारतीयों से कहता हूं कि यह सब सहते हुए आशाराम बापू को 8 से 9 साल हो गए। अब जागृत हो जाओ। भारत को पूर्ण तेज से जागृत करने वाले आशाराम बापू के चरणों में हम क्षमा प्रार्थी है कि उनको इतना भुगतना पड़ा है। मैं न तो आशाराम बापू से कभी मिला हूं और न ही मैंने उनसे दीक्षा ली है। यह हमारी नपुंसकता है, हमारा अपयश है। बापू जेल के अंदर नहीं है, हमारी कुल की धर्म की राष्ट्र की सुरक्षा की रक्षा प्रणाली अंदर है। उनको छुड़वाना हमारे कुल का दायित्व है। आशाराम बापू की लड़ाई बापू की है ही नहीं। उनको जेल से छुड़ाना हम सब का कर्तव्य है।
प्रेसवार्ता में मुख्य अतिथि के तौर पर आए हुए विश्व हिंदू परिषद के (गौरक्षा विभाग) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अवधेश गुप्ता एवं भाजपा विधायक सुरेश चंद्र तिवारी ने धनंजय देसाई की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि देश में साधु संतों, देवी देवताओं को अपमानित एवं बदनाम करने की एक परंपरा चल पड़ी है। संत आशाराम बापू ने समाज के चरित्र निर्माण, समाजोत्थान एवं गौरक्षा के लिए बहुत दैवीय कार्य किए है। 87 वर्ष की उम्र और इतना खराब स्वास्थ्य होते हुए भी उनको न तो बेल और न ही पैरोल दी जा रही है। आशाराम बापू जैसे महापुरुषों की समाज को बहुत आवश्यकता है। संत आशाराम बापू को जल्द से जल्द जेल से रिहा किया जाना चाहिए।

Hindi News / Lucknow / संत परंपरा की धरोहर की रक्षा करना हम सभी का धर्म : धनंजय देसाई

ट्रेंडिंग वीडियो