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लखनऊ

करनैलगंज विधानसभा : फिर से कमल खिलाने को तैयार भाजपा, पर सामने हैं मंझे हुए विपक्षी

Karnailganj Assembly – करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र 298। इस वक्त इस विधानसभा से जय प्रताप सिंह उर्फ लल्‍ला भइया विधायक हैं।

लखनऊSep 12, 2021 / 07:17 pm

Sanjay Kumar Srivastava

करनैलगंज विधानसभा : कमल खिलाने को तैयार भाजपा, पर मंझे हुए विपक्षियों से होगा सामना

करनैलगंज विधानसभा : कमल खिलाने को तैयार भाजपा, पर मंझे हुए विपक्षियों से होगा सामना

लखनऊ. करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र 298। इस वक्त इस विधानसभा से जय प्रताप सिंह उर्फ लल्‍ला भइया विधायक (Lalla Bhaiya) हैं। साल 2017 में भाजपा के टिकट पर वह विजयी हुए थे। चुनाव 2022 को करीब देख लल्‍ला भइया एक बार फिर कमल को खिलाने की तैयारियों में जुटे हैं। पर डगर इतनी आसान नहीं है, विपक्ष भी अपनी कमर कसे हुए है और तगड़ी चुनौती के साथ ललकार रहा है। सपा और बसपा दोनों खिलाड़ी काफी मंझे हुए हैं।
धर्मिक महत्व :- गोंडा जिले में सरयू के किनारे बसा है कस्बा करनैलगंज। यहां रामचरित मानस रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली भी है। सकरौरा घाट में अगस्त मुनि का आश्रम था जहां वन गमन में भगवान राम ने रात्रि विश्राम किया था। त्रिमुहानी घाट संगम स्थल पर गोस्वामी तुलसीदास की हस्तलिखित बालकाण्ड की पाण्डुलिपि गुरु नरहरि दास के आश्रम में रखी है।
सामाजिक तानाबाना :- करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र की आबादी करीब 5.62 लाख है। और मतदाताओं की संख्या करीब 3.19 लाख हैं। जिसमें महिला वोटर करीब 1.46 लाख हैं। इस विधानसभा में क्षत्रियों का बाहुल्य है। फिर ब्राह्मण, मुस्लिम, एससी और वैश्य मतदाताओं की आवाज सुनी जाती है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि :- करनैलगंज के मतदाताओं की राजनैतिक समझ काफी अच्छी मानी जाती है। मतदाताओं ने लगभग सभी पार्टियों के प्रत्याशियों को लखनऊ स्थित विधानसभा में पहुंचाया। पर विकास की बात करें तो वह आज भी लापता है। साल 1952 के विधानसभा चुनाव में जनता ने हिंदू महासभा के ज्वाला प्रसाद को जिताया तो निर्दलीय मदन मोहन सिंह 1967 में विधानसभा भेजा। 1957 में कांग्रेस की सरस्वती देवी तो 1962 में सोशलिस्ट पार्टी के गिरजा प्रसाद, 1969 में सोशलिस्ट पार्टी के भगेलू सिंह, 1974 में कांग्रेस के रघुराज सिंह, 1977 में जनता पार्टी के त्रिवेणी सिंह विजयी रहे।
छह बार जीते लल्ला भैया (Jai Pratap Singh) :- साल 1980, 1985 चुनाव में कांग्रेस के उमेश्वर प्रसाद सिंह विधायक चुने गए। साल 1989 में अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया निर्दलीय जीते। बाद में लल्ला भैया भाजपा में शामिल हो गए और साल 1991, 1993 और 1996 में लगातार विधानसभा चुनाव जीते। 2002 में बसपा के योगेश प्रताप सिंह ने लल्ला भैया को हार दिया था। साल 2008 में हुए उपचुनाव में लल्ला भैया की बहन ब्रिज कुंवरी बसपा के टिकट पर जीत गईं। 2012 में योगेश प्रताप सिंह ने सपा के टिकट पर जीत दर्ज की तो वहीं साल 2017 में भाजपा के टिकट पर अजय प्रताप सिंह फिर विजयी रहे।
चुनाव 2017 का सिजरा :- अब अगर चुनाव 2017 की बात करें तो करनैलगंज सीट से कुल 14 उम्मीदवारों ने ताल ठोंकी थी। भाजपा के लल्ला भैया को 82867 वोट मिले। सपा के योगेश प्रताप सिंह 54462 वोट और बसपा के संतोष तिवारी को 33241 मत हासिल हुए थे। लल्ला भैया ने इस चुनाव में कमल को विजयी बनाया।
अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया कौन हैं? :- अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया बरगदी और शाहपुर राजघराने के चिराग हैं। राजकुंवर लाल भैया का जन्म शाहपुर बरगदी में हुआ था। सिर्फ 12वीं कक्षा तक पढ़ें हैं। लल्ला भैया का दावा है कि, अपने कार्यकाल में उन्होंने विकास के कई कार्य कराए हैं।
चुनाव 2022 :- भाजपा के साथ लल्ला भैया की भी पूरी कोशिश है कि, करनैलगंज में एक बार फिर कमल खिले। पर इतना आसान नहीं है। समाजवादी पार्टी और बहुजन पार्टी अपनी रणनीति के तहत लगातार भाजपा को ललकार रही है। समीकरण अपने अंतिम वक्त क्या करवट लेता है यह तो वक्त बताएगा।

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