पाकिस्तान के सूबे खैबर पख्तूनख्वां (Khyber Pakhtunkhwa) की राजधानी पेशावर के गोर खत्री (Gor Khatri) इलाके में स्थित ‘गोरखनाथ मंदिर’ का निर्माण 1851 में कराया गया था। यह वहां के महत्वपूर्ण और मशहूर मंदिरों में गिना जाता है। देश के बंटवारे के बाद यह यह इलाका पाकिस्तान में चला गया और 1947से इस मंदिर को बंद कर दिया गया। तब से इस मंदिर में पूजा पाठ बंद रहा।
मंदिर को दोबारा खुलवाने और वहां पूजा-पाठ शुरू कराने के लिये वहां की अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को बड़ी और लम्बी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। मंदिर व्यवस्थापक की पुत्री फुलवती (Phool wati) ने गोरखनाथ मंदिर खुलवाने के लिये पेशावर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पेशावर हाईकोर्ट ने मंदिर बंद रखकर एक बड़ी आबादी को पूजा के अधिकार से वंचित रखने को गलत करार देते हुए इसे खोलने का आदेश दिया, करीब छह दशक के बाद 2011 में पेशावर हाईकोर्ट (Peshawar High Court) के आदेश पर पाकिस्तान के पेशावर के गोरखत्री इलाके में स्थित ‘गोरखनाथ मंदिर’ को 160 साल बाद दिवाली के मौके पर खोला गया।
वहां के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय ने दिवाली के मौके पर पूजा अर्चना कर इस जीत की खुशी मनाई। कहा जाता है कि वहां के हिंदू और सिख समुदाय ने एकजुट होकर इस लड़ाई को लड़ा और कानूनन जीत हासिल की।
मंदिर पर हुआ हमला
पेशावर हाईकोर्ट के आदेश पर करीब छह दशक बाद दोबारा खोले जाने के एक साल बाद मई 2012 में पाकिस्तान के गोरखनाथ मंदिर पर अज्ञात कट्टरपंथी उपद्रवियों ने हमला कर दिया था। स्थानीय खबरों के अनुसार मंदिर में मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया गया था वहां तस्वीरें जला दी गई थीं। धार्मिक किताब का भी अनादर किया गया था।