scriptफेफड़े में था दिल से बड़े आकार का ट्यूमर, केजीएमयू में इलाज कर डाक्टरों ने बचाई सिपाही की जान | kgmu doctors saved life of soldier having heart size tumor in lungs | Patrika News
लखनऊ

फेफड़े में था दिल से बड़े आकार का ट्यूमर, केजीएमयू में इलाज कर डाक्टरों ने बचाई सिपाही की जान

केजीएमयू में फेफड़े के ट्यूमर का सफल इलाज कर सिपाही की जान बचाई गई

लखनऊMay 09, 2019 / 02:43 pm

Karishma Lalwani

kgmu

फेफड़े में था दिल से बड़े आकार का ट्यूमर, केजीएमयू में इलाज कर डाक्टरों ने बचाई सिपाही की जान

लखनऊ. केजीएमयू में फेफड़े के ट्यूमर का सफल इलाज कर सिपाही की जान बचाई गई। ट्यूमर एक किलो का था और उसका आकार ह्रदय से भी बड़ा था। 24 वर्षीय इलाहाबाद निवासी कांस्टेबल पवन कुमार को तीन साल पहले भारीपन के साथ ही सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। निजी अस्पताल में दिखाने पर डाक्टर दिल का इलाज करते रहे, जिस्से ट्यूमर का आकार धीरे-धीरे बढ़ने लगा। वह दिल पर भी असर डालने लगा। आराम न मिलने के बाद परिवार वालों ने युवक को केजीएमयू में भर्ती किया जहां ट्यूमर की सर्जरी कर सिपाही की जान बचाई गई।
एक्स रे कर पता लगाया ट्यूमर का

पवन कुमार को सांस लेने में दिक्कत थी। चंद कदम चलने पर ही सांस फूलने लगती थी। कुछ दिन बाद सीने में दर्द भी शुरू हो गया। ह्दय रोग विशेषज्ञ को दिखाया लेकिन वहां भी आराम नहीं मिला। हालत बिगड़ने पर परिजनों ने पवन को केजीएमयू में भर्ती किया। यहां प्रो. सुरेश कुमार ने मरीज की जांच की तो एक्स रे में फेफड़े के दूसरे हिस्से में दिल के आकार से भी बड़ा ट्यूमर नजर आया।
कम खर्च में सफल इलाज

घंटों की सर्जरी के बाद मरीज का सफल इलाज किया जा सका। अब मरीज की हालत ठीक है। प्रो. सुरेश के मुताबिक इस तरह के ट्यूमर को हर्माटोमा कहते हैं। यह रेयर होता है। मरीज के ट्यूमर का वजन करीब एक किलोग्राम हो गया था। फेफड़े के भीतर और दिल के नजदीक होने की वजह से यह और खतरनाक साबिक हो सकता था। मरीज को अप्रैल में अस्पताल में भर्ती किया गया। 29 को मरीज का इलाज किया गया। प्रो. सुरेश ने बताया ट्यूमर फेफड़े के भीतरी हिस्से में था, जहां उपकरण पहुंचने में कठिनाई थी। नसों के कटने का भी डर था। वक्त पर इलाज न मिले से अगर ट्यूमर का साइज और बढ़ जाता तो इसके फटने का डर रहता जिससे मरीज की मौत हो सकती थी। केजीएमयू में सर्जरी चार घंटों तक चली, जिसमें करीब 20 हजार रुपये खर्च किए गए। यह प्राइवेट अस्पताल के इलाज से कई गुना कम है। प्राइवेट में इसका खर्च चार से पांच लाख तक आता।
सर्जरी में ये रहे शामिल

पेशंट की सफल सर्जरी में प्रो. सुरेश कुमार के अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर संजीव कुमार, डॉ. निशांत, डॉ. मेरी, एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. ज्योत्सना और डॉ. अंशू शामिल रहे।

Hindi News / Lucknow / फेफड़े में था दिल से बड़े आकार का ट्यूमर, केजीएमयू में इलाज कर डाक्टरों ने बचाई सिपाही की जान

ट्रेंडिंग वीडियो