कंगना रनौत ने अपने ताजा ट्वीट में पश्चिम बंगाल में ताजा चुनावी हिंसा को लेकर भाजपा आरोप लगा रही है कि तृणमूल कांग्रेस के गुंडे बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमला कर रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय ने 700 गांवों में हिंसा की बात कही है। इसपर कंगना ने ट्वीट कर लिखा है… “मैं गलत थी, वह रावण नहीं है। वह तो सबसे अच्छा राजा था दुनिया में सबसे अच्छा देश बनाया, महान ऐडमिनिस्ट्रेटर था, विद्वान था और वीणा बजाने वाला और अपनी प्रजा का राजा था, वह तो खून की प्यासी राक्षसी ताड़का है। जिन लोगों ने उनके लिए वोट किया, खून से तुम्हारे हाथ भी सने हैं।”
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद कांगना रनौत ने ट्वीट की झड़ी लगा दी। लिखा कि आने वाले दिनों में बंगाल के खूनी खेल पर आंखें बंद करना मुश्किल होगा। हार के खौफनाक डर के बाद मिली यह नई ताकत उन्हें और ज्यादा खून का प्यासा बना देगी।
इतना ही नहीं कंगना ने अपने ट्वीट में लिखा कि ‘बंग्लादेशी और रोहिग्यां ममता की सबसे बड़ी ताकत हैं। जैसी प्रवृत्ति दिख रही है उससे यह साफ पता चलता है कि वहां हिंदू अधिक तादाद में नहीं। आंकड़ों के मुताबिक बंगाली मुसलमान पूरे भारत में सबसे गरीब और वंचित हैं। अच्छा है… दूसरा कश्मीर तैयार हो रहा है।
इस ट्वीट पर गोरखपुर सदर से भाजपा विधायक डाॅ. राधा मोहनदास अग्रवाल भड़क उठे। उन्होंने रिप्लार्ठ कर कंगना को मूर्ख औरत तक कह डाला। कहा कि कथित भाजपा समर्थक बनकर कंगना जो लिख रही हैं वह पार्टी को भी स्वीकार्य नहीं हो सकता। कंगना को ऐसी बातें करके सुर्खियों में बने रहने की आदत हो चुकी है।
उन्होंने कंगना के ट्वीट का रिप्लाई करते हुए लिखा… “बहुत ही शर्मनाक कमेंट दिया है। इस मूर्ख औरत को इतनी बेहूदी बांते कहने के लिए चुनाव आयोग को इसके विरूद्ध कार्रवाई, सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।” उन्होंने आगे लिखा, “मै भाजपा का विधायक हूं और जानता हूं कि पीएम, अमित शाह, जेपी नड्डा सभी ने बहुत बडप्पन के साथ ममता बनर्जी को जीत की बधाई दी।”
विधायक ने कहा है कि यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि हम हार गए तो बंगाल कश्मीर में बदल गया है। कंगना कभी महाराष्ट्र को तो कभी बंगाल को कश्मीर बताती हैं, यह बिल्कुल गलत है। उन्होंने आगे लिखा कि टीएमसी और ममता बनर्जी से हम मजबूती से लड़े। पर चुनाव अब खत्म हो चुका है। अब सबको बंगाल के लिये काम करना है।
उन्होंने चुनाव आयोग से इसका संज्ञान लेेने की मांग करते हुए कंगना को भी नसीहत दी है कि कंगना को जीत हार केा मजहबी रंग नहीं देना चाहिये। उन्हें मर्यादा का खयाल रखना चाहिये।