जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति के पुजारी प्रतिनिधि पंडित नवीन चंद्र भट्ट ने बताया कि
यहां पर घृत कमल पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। बताया कि हर साल मकर संक्राति पर भगवान शिव के लिए घी की गुफा तैयार की जाती है। उसके बाद भगवान उस गुफा में एक माह के लिए साधरनारत हो जाते हैं। फाल्गुन एक गते को पूर्ण विधि विधान के साथ घृत कमल को उतारा जाएगा।
घृत कमल से आच्छिांदित होने के बाद शिव के गुफानुमान आवारण के ही दर्शन भक्तजन कर पाएंगे। ठीक एक माह बाद यानी फाल्गुन की संक्रांति को भगवान शिव को घृत कमल से बाहर निकाला जाएगा।
एक माह बाद घृत कमल के घी के छोटे टुकड़े कर उसे भक्तों को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। लेकिन घृत कमल का प्रसाद ग्रहण नहीं किया जाता है। अमृत प्रसाद मानकर घी को सिरोधार्य किया जाता है।