कोचिंग का फर्जीवाडा आने से बदले नियम आपको बता दें कि समाज कल्याण विभाग की यह योजना साल 2008 से चल रही है। इसमें अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग के ऐसे गरीब छात्र-छात्राओं जिन्होंने आईएएस-पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली हो उन्हें मुख्य परीक्षा के लिए कोचिंग संस्थानों में दाखिला दिलाया जाता है। इस योजना में 100 अभ्यर्थी सामान्य वर्ग के और 100 अभ्यर्थी अनुसूचित जाति वर्ग के लिए जाते हैं। हर साल प्रदेश सरकार दिल्ली, लखनऊ व प्रयागराज में स्थित कोचिंग संस्थान पहले छात्र-छात्राओं को दाखिला दे देते थे, इसके बाद सरकार उन्हें फीस देती थी। लेकिन इधर कई कोचिंग संस्थानों की इसमें फर्जीवाड़ा करने की खबरें सामने आने लगीं। जिसके चलते सरकार ने इस बार नई व्यवस्था लागू कर दी है।
पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी भी शामिल समाज कल्याण विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि विभाग द्वारा लाभ अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को प्रदान किया जा रहा है। लेकिन अभी तक अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जनजाति वर्ग के अभ्यर्थियों को इस योजना का फायदा नहीं मिल रहा था। जिसको देखते हुए योजना का विस्तार करते हुए इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को भी शामिल करने का फैसला लिया गया है।
सीधे खाते नें जाएगी रकम उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग ने वर्तमान वित्तीय वर्ष से इस योजना की धनराशि 45 हजार रुपये सीधे अभ्यर्थियों के बैंक खाते में भेजने का फैसला लिया है। साथ ही 10 हजार रुपये भोजन और आवास व्यवस्था के लिए अलग से दिए जाएंगे। इस योजना का लाभ एक लाख रुपये तक सालाना आय वाले परिवारों के छात्र-छात्राएं ही उठा सकते हैं। सरकार ने 100 सामान्य वर्ग व 100 अनुसूचित जाति वर्ग के अभ्यॢथयों में से 25-25 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की हैं।