नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है। साधक इस दिन अपने मन को मां के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करनेवाली। इस तरह ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करनेवाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है। माता का स्वभाव सरल है। शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं।
एक ऐसा शक्तिपीठ, जहां झूले में चुनरी बांधने से पूरी होती हैं मन्नतें, आप जानते हैं?
कुंडलिनी शक्ति जगाने के लिए करें मां की पूजाचित्रकूट निवासी पंडित मनोज मिश्रा बताते हैं “साधक कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए मां ब्रह्मचारिणी की साधना करते हैं। जिससे उनके जीवन में शांति आती है और जीवन सफल हो जाता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने वाला भक्त अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकता है।
यूपी का एक ऐसा पर्वत, जिसे देवी मां ने दिया था कोढ़ी होने का श्राप, क्या आप जानते हैं?
इनकी कृपा से हर जगह मिलती है सिद्घि और विजयश्रीमद देवी भागवत में बताया गया है कि मां दुर्गा का ये दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धियों को अनंत फल देनेवाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार संयम की वृद्धि होती है। जीवन की मुश्किलों में भी उनका मन कर्तव्य से विचलित नहीं होता। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से भक्त को हर जगह सिद्धि और विजय प्राप्त होती है। मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर के बने पदार्थों का भोग लगाया जाता है।
वो शक्तिपीठ, जहां से अमित शाह ने शुरू की परिवर्तन यात्रा, फिर यूपी में BJP को मिला प्रचंड बहुमत
आज यह करने से पूरी होती हैं इच्छाएंआज के दिन माता के साधक को नारंगी या पीले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा से, माता की उपासना करता है, उसकी सारी मनोकामनाएं देवी अवश्य पूरा करती हैं। मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र है “या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता